दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद की इंदिरापुरम कालोनी में परसों रात एक व्यक्ति ने अपने जुड़वां बेटों, एक बेटी और अपनी पत्नी को जहर दे कर बेहोश इकिया और फिर उनका गला काट दिया, अपने वीडियो में उस इंसान ने लिखा कि वह भी आत्म ह्त्या आकर रहा है, मूल रूप से टाटा नगर झारखण्ड का निवासी सुमित बी टेक था और सोफ्ट वेयर इंजिनियर ने एक वीडियो बनाकर अपने साले को भेजा, जिसमें उसने कहा कि, 'मैं अब परिवार का बोझ नहीं उठा सकता, इसलिए मैंने पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी है।
सुमित कुमार पत्नी अंशूबाला (32) और बच्चों प्रथिमेष (5), आकृति (4) और आरव (4) के साथ रहते थे। बेटी आकृति और बेटा आरव दोनों जुड़वां थे। प्रतिनेश रिवेरा पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा का छात्र था। अंशूबाला एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी। सुमित बंगलूरू स्थित अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर था। जनवरी में उसकी नौकरी छूट गई थी, इस कारण परिवार में कलह रहता था। शनिवार रात उन्होंने पत्नी और तीनों बच्चों की हत्या कर दी।
इसे कोई पारिवारिक कलह की आम घटना ना समझें। यह बेरोजगारी , निराशा और हताशा कि तस्वीर है। असल में ऐसी घटनाएँ सारे देश में सुनी जा रही है लेकिन सत्ता हरन की रस्साकशी में ये मूल सवाल नदारद हैंअपने आस पास देखे - पांच साल दस लाख रूपये खर्च कर इंजिनियर बने बच्चों को दस हज़ार कि नौकरी नहीं मिल रही है। भोपाल में कई निजी दफ्तरों में रिसेप्शन पर बैठी बच्चियां मिल जायेंगी जो एम् बी ऐ या बी टेक है और सात हज़ार में यह नौकरी कर रही हैं ताकि एजुकेशन लोन उतर सके।
बेरोजगारी रास्ता भटकाती है, भाग्यवादी बना देती है और भगवान में आकर से ज्यादा अंध श्रद्धा, ऐसे ही लोग जाती- धर्म कि राजनीती करने वालों कि हुल्लड ब्रिगेड का खाद पानी होते हैं।काश इलेक्शन केवल रोजगार जैसे युवाओं के सवाल पर होता ?