शहीद किसानों की याद में गाजीपुर बॉर्डर पर बनाया गया स्मारक, देशभर से लाई गई है मिट्टी

मेधा पाटेकर और डॉ. सुनीलम समेत पूरे देश के 50 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरे देश के हर राज्य से 'मिट्टी सत्याग्रह यात्रा' निकाल कर यूपी गेट पर मिट्टी पहुंचाई।

Update: 2021-04-07 06:28 GMT

गाजियाबाद : किसान आंदोलन के बीच ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने प्रतीकात्मक शहीद स्मारक का निर्माण कर दिया है। जो कि आन्दोलन के दौरान गाजीपुर बॉर्डर (किसान क्रांति गेट) पर शहीद चौधरी गलतान सिंह, सरदार कश्मीर सिंह और दिल्ली के चारों तरफ चल रहे आंदोलन में 320 से ज्यादा के शहीद हुए किसानों की याद में रखा गया है।

शहीद स्मारक के लिए राकेश टिकैत के आह्वान पर देश के हर प्रदेश के खेतों से मिट्टी लाई गई। मेधा पाटेकर और डॉ कुमार सुनीलम समेत पूरे देश के 50 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरे देश के हर राज्य से "मिट्टी सत्याग्रह यात्रा" निकाल कर यूपी गेट पर मिट्टी पहुंचाई।


बस्तर की शहीदी मिट्टी भी आई 

शहीद किसान स्मारक बनाने के लिए छत्तीसगढ़ से बस्तर के महान आदिवासी सपूत, भूमकाल आंदोलन के महान नेता शहीद गुंडाधुर के ग्राम नेतानार की मिट्टी भी शामिल हुई। इस तारतम्य में आज अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने ये मिट्टी राकेश टिकैत को सौंपीं।

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में देश भार के ऐतिहासिक स्थलों और शहीदों के गाँवों से भी मिट्टी लाई गई है। इन में शहीद भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु , चंद्रशेखर आजाद , रामप्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला आदि के गांव की भी मिट्टी शामिल है।

यहाँ पर पुरुष और महिलाओं को मिट्टी के छोटे बड़े घड़ों में मिट्टी लाते हुए देखा गया जो किसान क्रांति गेट पर राकेश टिकैत के हाथों में सौंपी गई।

किसान नेता प्रबल प्रताप शाही ने भी ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर शहीद स्मारक पर दीप जलाकर किसानों को श्रद्धांजलि दी।

इस मौके पर मंच से चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि यहाँ पर हमारे तीन किसान शहीद हुए हैं। साथ ही इस आंदोलन के सभी मोर्चों पर 320 से ज्यादा किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं। इनके साथ ही पुलिस के जवान जो कारणवश सरकार की साजिश के तहत आपसी टकराव में शहीद हो गये। यह शहीद स्मारक किसान और जवान की शहीदी को याद दिलायेगा। हमें अपनी पगड़ी और खेत की सीमा को संभालने की हिदायत देगा। हमारे पूर्वजों के बलिदान और देश को इतिहास के रूप याद दिलायेगा।


उन्होंने कहा कि कोई भी किसान यहाँ अपने खेत की मिट्टी लाकर मिश्रित कर सकता है। इससे वह अपने खेत से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेगा। यहाँ से अपने खेत के लिए मिट्टी ले भी जा सकता है। जिससे किसान क्राँति की यादें अपने गाँव में अपने खेत में महसूस करेगा। अब यह क्रांति हर खेत खलियान, हर दिल और दिमाग का हिस्सा बन चुकी है।

टिकैत ने कहा आज हमने प्रतीकात्मक तौर पर यहाँ किसान और जवान की याद में शहीद स्मारक का निर्माण किया है। इसके लिए पास ही खाली पड़ी भूमि को शासन प्रशासन लिखित रूप में आवंटित कर देवे अन्यथा हम अपने तरीके से यहाँ " शहीद स्मारक का स्थाई निर्माण करेंगे साथ ही राष्ट्रीय ध्वज भी स्थापित करेंगे। उन्होने कहा सरकार जब गूँगी बहरी हो जाए, मीडिया की कलम और कैमरे पर भी बंदूक का पहरा हो जाए तो हर व्यक्ति को सोशल मीडिया का सहारा लेना चाहिए। सन 1857 की तर्ज पर हमें हर देशवासी तक किसान क्राँति की आवाज पहुँचानी है।

उन्होंने कहा कि यह आँदोलन अभी आठ- दस महीने और चलेगा। हमें इस संघर्ष के लिये पूर्ण रुप से तैयार रहना होगा।

इस मौके पर मेघा पाटेकर और डॉ कुमार सुनीलम ने भी सरकार द्वारा लाये गये काले कानूंनों की असलियत पर प्रकाश डाला।उन्होंने देश की महिलाओं से एकत्र होकर एक झंडे के नीचे आने का आह्वान किया।


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