प्राइवेट स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका, कोरोना काल मे स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों को करनी होगी 15% फीस वापस
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा की पहले माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अभिभावकों के हक़ में फैसला दिया और अब माननीय सुप्रीम कोर्ट से भी यही आशा है,
कहते है जब प्रयास निस्वार्थ भाव से किये जायें तो सफलता स्वयं ही लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाने लगती है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन का प्रदेश के अभिभावको के लिये निरन्तर सघर्ष रंग ला रहा है प्रदेश के अभिभावको को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी राहत प्रदान की है दिनांक 09-10-2023 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के उस आदेश पर सुनवाई हुई जिसमे प्रदेश के समस्त स्कूलों को कोरोना काल के वर्ष 2020-21 में 15% फीस के समायोजन व वापसी के आदेश दिए गए थे।
इस मामले में पूर्व में 04 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 15% फीस वापसी के आदेश 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों की 15% फीस वापसी के पार्ट को स्टे कर दिया था अब सुप्रीम कोर्ट ने केवल स्टे उन्ही तीन स्कूल को दिया है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पिछले 4 साल की बैलेंस शीट दाखिल कर दी है अभिभावक संघ की तरफ से अधिवक्ता श्री शाश्वत आनंद, राजेश इमानदार , तल्हा अब्दुल रहमान(ए0ओ0आर) मौजूद रहे वही इंडियन स्कूल फेडरेशन की तरफ से अधिवक्ता रोहित अमित स्थालेकर(ए0ओ0आर), कविन गुलाटी वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद रहे | इंडियन स्कूल फेडरेशन की तरफ से दाखिल हुई याचिका (एस•एल•पी•) पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस एस वी एन भट्टी ने कहा की केवल तीन ही स्कूलों ने एफिडेविट दाखिल किया है।
स्टे केवल उन्ही को मिलेगा एवं अपनी पूरी बैलेंस शीट भी छह हफ्तों में दाखिल करे और अन्य याचिकाकर्ता को भी आदेश दिया है की वह भी 4 हफ्तों में अपना 4 साल का विवरण कोर्ट में दाखिल करे और जो आदेश सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दिए है जैसे की एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों से यह भी माँगा है कि स्कूलों द्वारा कितनी सैलरी टीचर व स्टाफ को वर्ष 2020-21 में दी गयी है और क्या उनकी सैलरी में कोई कमी की गयी है ? सुप्रीम कोर्ट ने एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों से यह भी माँगा है कि वर्ष 2020-21 में प्रति दिन के खर्चो में कितनी कमी आई है।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा की पहले माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अभिभावकों के हक़ में फैसला दिया और अब माननीय सुप्रीम कोर्ट से भी यही आशा है, कोर्ट ने स्कूलों से कथित नुकसान की गहन जानकारी के लिए 4 साल की बैलेंस शीट दाखिल करने को कहा है और आज 2020-21 में छोड़ चुके विद्यार्थियों को 15% फीस वापसी पर भी स्टे हटा कर यह इशारा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का पूर्ण आदेश भी अभिभावकों के पक्ष में ही आएगा | निजी स्कूलों को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुये पेरेंट्स की 15% फीस वापस करनी चाहिये और प्रदेश की सरकार को चाहिये कि वो अपने अधिकारियों से निजी स्कूलों से कोरोना काल की 15 प्रतिशत फीस सख्ती से वापस कराये ।