चुनावी चक्रव्यूह में फंसा शिक्षा का मुद्दा देख रहा है राजनैतिक पार्टियों के मैनिफेस्टो की राह - सीमा त्यागी

Update: 2021-12-20 07:13 GMT

उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका सभी राजनैतिक पार्टियां सत्ता पाने की होड़ में फ्री की योजनाओं सहित जात -पात , हिन्दू मुसलमान , मंदिर -मज्जिद के कार्ड पर राजनैतिक बिसात बिछानी शरू कर दिया है आखिर हो भी क्यो न देश के सबसे बड़े राज्य की सत्ता जो हासिल करनी है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह कि कोई भी राजनैतिक पार्टी शिक्षा जैसे अत्यन्त महत्वपूर्ण मुद्दे को चुनावी मैनिफेस्टो में शामिल करने की बात नही करती है चुनावी घोषणाओं में जहाँ प्रदेश के सरकारी स्कूलों के जीर्णोद्धार , प्रदेश के प्रत्येक जिले में सैनिक स्कूल , कैन्द्रीय विद्यालय एवम प्रदेश के प्रत्येक जिले में कम से कम 20 सीबीएसई से मान्यताप्राप्त इंग्लिश मीडियम सररकारी स्कूल खोलने एवम अभिभावको से निजी स्कूलों की लूट पर रोक लगाने के संकल्प की घोषणा नदारद नजर आती है।

वही दीवारों , बसों , टेम्पो पर बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा राजनैतिक पार्टियों के मनोबल बढ़ाने के लिए काफी नजर आता है राजनैतिक पार्टियों ने भी प्रदेश की जनता की नब्ज को गहराइयों से जान लिया है ये राजनैतिक पार्टियां अच्छी तरह से जानती है कि प्रदेश की जनता साढ़े चार साल तक शिक्षा , स्वास्थ्य , सुरक्षा , बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे लेकिन चुनाव आते ही ये जात -पात , हिन्दू - मुसलमान , मंदिर - मज्जिद के मुद्दे पर ही वोट करेगे।

इसलिये राजनैतिक पार्टियों के लिए शिक्षा जैसे अहम मुद्दे सहित स्वास्थ्य , सुरक्षा , बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बात करने के लिए टाइम नही है सस्ती और सुलभ शिक्षा के बिना ही ये राजनैतिक पार्टियां देश को विश्व गुरु बनाने का अकल्पनीय सपना जनता को दिखाना उचित समझती है कहते है शिक्षा ही जीवन की सबसे शक्तिशाली चीजो में से एक है शिक्षा न केवल सिखाती है बल्कि यह एक व्यक्ति को बहुत समझदार और सभ्य बनाने में मदद करती है शिक्षा वह मंच है जो सभी बाधाओं को हराने की क्षमता रखती है जहाँ शिक्षा हमारी बुद्धि कौशल ,ज्ञान को बढ़ाती है वही हमारे जीवन मे सकारात्मक बदलाव भी लाती है।

अब समय आ गया है कि चुनाव से पहने प्रदेश की जनता को शिक्षा , स्वास्थ्य , सुरक्षा , बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों पर राजनैतिक पार्टियों से खुलकर प्रसन्न कर इनके ठोस समाधान की बात करनी चाहिए प्रदेश की जनता को चाहिए कि वो सभी राजनैतिक पार्टियों से संकल्प ले कि वो प्रदेश के प्रत्येक बच्चे को सस्ती और सुलभ शिक्षा के सपने को साकार करने के लिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय बनायेगे और निजी स्कूलों के बढ़ते व्यपारिकर्ण पर रोक लगाएंगे प्रदेश के अभिभावक अपनी वोट की ताकत को समझे और शिक्षा के मुद्दे को अपनी प्राथमिकता पर लाये अन्यथा चुनावी चक्रव्यूह में फंसकर शिक्षा का मुद्दा ऐसे ही राजनैतिक पार्टियों की राह देखता रहेगा।

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