4 साल की बच्ची का दर्द सुनकर बेचैन हुए डीएम डॉ. मन्नान अख्तर, मदद के लिए खुद पहुंच गए मासूम के घर
उरई. हर सुबह जिले में हो रही हर हलचल की खोज खबर लेना उरई के जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर (District Magistrate Dr. Mannan Akhtar) की आदत में शामिल हो चुका है. रोज की तरह, 29 अप्रैल की सुबह भी डॉ. मन्नान अपने मातहतों से जिले में COVID-19 को लेकर चल रही गतिविधियों की खबर लेने में लगे ही थे, तभी उनके मोबाइल से मैसेज आने की एक बीप आती है.चूंकि यह बीप उनके सरकारी नंबर से आई थी, लिहाजा उनको अंदाजा हो गया था कि किसी असहाय को उनके मदद की जरूरत आ पड़ी है. उन्होंने अपना सारा जरूरी काम बीच में रोककर उस मैसेज को पढ़ना शुरू कर दिया. चंद लफ्जों के इस मैसेज में लिखा था – 'साहब, मैं शहर के पटेल नगर में रहता हूं. मेरी 4 साल की बेटी को ब्लड कैंसर है. सीबीसी का टेस्ट होना जरूरी है. प्लीज, मदद कीजिए.'
इस मैसेज को पढ़ने के बाद डॉ. मन्नान कुछ पलों के लिए अचानक खामोश हो जाते हैं. जहन में बार-बार एक ही बात दस्तक देती है ' मेरी 4 साल की बेटी को ब्लड कैंसर है.' चूंकि वह खुद एमबीबीएस डॉक्टर हैं, लिहाजा उन्हें उस बच्ची की हालत का बखूबी असहसास हो रहा था. वहीं, जिलाधिकारी होने के नाते उनकी पहली जिम्मेदारी इस बच्ची को हर संभव मदद पहुंचाने की बनती थी. इसी सोच-विचार के बीच वह अपना मोबाइल उठाते हैं और जिस नंबर से मैसेज आया थी, उसी नंबर पर कॉल बैक कर देते हैं. फोन उठते ही वह अपना परिचय देते हैं. कुछ पल खामोशी से दूसरी तरह से आ रही आवाज को सुनने के बाद वह कहते हैं कि मैं आपके लिए गाड़ी का इंतजाम कर देता हूं, आप बच्ची को जिला अस्पताल ले जाकर टेस्ट करा सकते हैं.
जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर की इस पेशकश के बाद, उधर से बच्ची के पिता की आवाज आती है - 'मेरी बच्ची को ल्यूकेमिया है, जिसके चलते उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो चुकी है, लिहाजा डॉक्टर्स ने अस्पताल जाने से मना किया है.' ऐसे में डॉ. मन्नान के सामने अजीब सी उलझन पैदा हो जाती है. चूंकि जिला अस्पताल में सारे COVID-19 मरीजों की स्क्रीनिंग चल रही है, लिहाजा वहां से किसी को ऐसे हालात में बच्ची के पास नहीं भेजा जा सकता है. वहीं, लॉकडाउन के चलते शहर के सारे डायग्नोस्टिक सेंटर बंद हैं, ऐसे में बच्ची की जांच कैसे पूरी कराई जाए. इसी बीच, शहर के एडीएम पुष्पेंद्र उनके पास पहुंच जाते हैं. एडीएम पंकज को देखते ही डॉ. मन्नान के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है.
वह एडीएम पुष्पेंद्र से किसी प्राइवेट लैब टेक्नीशियन को साथ लेकर बच्ची के घर जाने के लिए बोलते हैं. लंबी कवायद के बाद कान्हा डायग्नोस्टिक सेंटर का लैब टेक्नीशियन उनके साथ बच्ची के घर जाने के लिए तैयार हो जाता है. फिर क्या था, एडीएम फौरन लैब टेक्नीशियन को लेकर बच्ची के घर पहुंचते हैं और उसका ब्लड सैंपल लेकर डायग्नोस्टिक सेंटर वापस आ जाते हैं. इधर, ऑफिस पहुंचने के बाद एडीएम पुष्पेंद्र अपने जिलाधिकारी डॉ. मन्नान को बच्ची के हालात के बारे में विस्तार से बताते हैं. जिसके बाद डॉ. मन्नान उस बच्ची को लेकर बेहद फिक्रमंद हो जाते हैं. वह खुद लैब पहुंचकर बच्ची की रिपोर्ट लेते हैं, फिर अपने डॉक्टर मित्रों से बच्ची की रिपोर्ट के बारे में चर्चा करते हैं और आखिर में वह रिपोर्ट लेकर खुद बच्ची के घर की तरफ निकल पड़ते हैं.
जिलाधिकारी ने ब्लड कैंसर से 4 साल की बच्ची की मदद करके मानवता की अनूठी मिशाल दी है.बच्ची के घर पहुंचने के बाद जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर लैब रिपोर्ट को सिलसिलेवार तरीके से बच्ची के पिता को बताते हैं. उनके हालात और हालचाल पूछते हैं. बतौर डॉक्टर बच्ची को लेकर अपनी सलाह देते हैं और भविष्य में किसी तरह की जरूरत पड़ने पर उनसे सीधे संपर्क करने के लिए कहते हैं.