शव के साथ रहने वाले परिवार ने 17 महीने में खर्च डालें 30 लाख रुपए,जानें पूरा मामला
कानपुर।उत्तर प्रदेश के कानपुर में रावतपुर थाना क्षेत्र में आयकर विभाग के अधिकारी विमलेश दीक्षित को जिंदा मानकर परिवार शव के साथ 17 महीनों तक रहा।बीते शुक्रवार को मामला सामने आया कि 17 महीने से उनके शव को रखकर पूरा परिवार उनका इलाज करने की कोशिश कर रहा था।ये जानकार हर कोई हैरान हो गया।इस दौरान विमलेश के इलाज में परिजनों 30 लाख रुपए खर्च कर डाले।यह सब इलाज के नाम पर किया गया।
अप्रैल 2021 में विमलेश दीक्षित की मौत होने के बाद परिजन उनको घर लेकर लाए और धड़कन चलने की बात कहकर विमलेश का अंतिम संस्कार नहीं किया।विमलेश का घर पर ही इलाज शुरु कर दिया गया। 4 दिनों में ही परिजनों ने ऑक्सीजन के लिए 9 लाख रुपए खर्च कर डाले।करोना काल के समय ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत से परिजनों ने एक-एक लाख रुपए के ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे थे।
विमलेश के पिता ने बताया कि 22 अप्रैल 2021 के बाद जब उसे मृत बताया गया था, उसके बाद से डेढ़ माह तक बड़े-बड़े अस्पताल,यहां तक कि लखनऊ के पीजीआई भी उन्हें लेकर गए,लेकिन कोरोना की वजह से अस्पताल में घुसने तक नहीं दिया गया।उन्होंने बताया कि कानपुर के ही कल्याणपुर और बर्रा स्थित निजी अस्पताल ने विमलेश के शव को भी भर्ती कर लिया और मोटी रकम वसूली।
विमलेश के परिजनों ने बताया कि छह महीने तक झोलाछाप डॉक्टर घर पर ही इलाज करता रहा।विमलेश को ग्लूकोज चढ़ता रहा।यहां तक कि रेमडेसीविर इंजेक्शन भी खरीद कर लगवाया।जब छह महीने बाद विमलेश की नस न मिलने की वजह से उसने इलाज करने मना कर दिया।
इस पूरे मामले में पुलिस कमिश्नर ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच बैठा दी है।टीम यह जांच करेगी कि कैसे 17 महीने तक शव को घर में रखा गया।शव ख़राब क्यों नहीं हुआ और उसमे से बदबू क्यों नहीं आई।टीम यह भी जांच करेगी कि किस तरह से इलाज के नाम पर वसूली हुई।