जब कल्यानपुर थानाध्यक्ष से भिड़ गया था विकास दुबे तो सिपाही रहे शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने विकास को जमकर पीटा था
लखनऊ। गैंगेस्टर विकास दुबे और शहीद सीओ देवेन्द्र मिश्र के बीच 22 साल से दुश्मनी चल रही थी। बात 1998 की है। विकास दुबे को स्मैक की 30 पुडियों के साथ कल्यानपुर थाने की पुलिस पकड़ा था। जब उसे थाने लाया गया तो वह तत्कालीन थानाध्यक्ष हरिमोहन यादव से भिड़ गया। उस समय देवेन्द्र मिश्र कल्यानपुर थान में सिपाही थे। विकास दुबे की बदसलूकी देख उन्होंने लाठी से विकास को जमकर पीटा था फिर हवालात में बंद कर दिया था।जिसके बाद विकास ने मिश्र को देख लेने की धमकी दी थी।
खास बात है कि तब तत्कालीन बीएसपी विधायक भगवती सागर और राजाराम पाल ने थाने में पहुंचकर खुद विकास दुबे की पैरवी की थी। जब पुलिस ने दोनों की बात नहीं मानी तो बसपा नेता थाने में ही धरना देने लगे।इससे साफ है कि विकास की शुरू से राजनीति में अच्छी पकड़ थी
दिवंगत सीओ देवेन्द्र मिश्र यूपी के बांदा जिले के रहने वाले थे। वह साल 1981 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। इसके बाद विभागीय परीक्षा पास की और दरोगा बन गए। साल 2005 में मिश्र को उन्नाव के आसीवन थाने का इंचार्ज बनाया गया। यहां उन्होंने एक शातिर बदमाश का एनकाउंटर किया। जिसकी वजह से उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला। इसके बाद 2016 में गाजियाबाद में तैनाती के दौरान दोबारा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर पुलिस उपाधीक्षक बने।
इसके बाद कल्यानपुर थाने में सिपाही रहे मिश्र जब बिल्हौर सर्किल के सीओ बनकर आए तो वे विकास दुबे की हर एक गतिविधियों पर नजर रखने लगे। लेकिन चौबेपुर थाने विकास के दबदबे के चलते उन्हें थाना चौबेपुर से सहयोग नहीं मिल रहा था। सीओ अपने स्तर से विकास के किसी भी गलत काम को नहीं होने दे रहे थे। इस बात को लेकर देवेंद्र मिश्र और विकास दुबे के बीच आमने-सामने भी झड़प हो चुकी थी। दोनों के बीच खुन्नस बढ़ती जा रही थी। जबकि चौबेपुर थाने के निलंबित एसओ विनय तिवारी की विकास से दोस्ती गहरी हो चुकी थी। विनय तिवारी सीओ की हर एक गतिविधि की जानकारी विकास दुबे को देते थे। ऐसे में जब सीओ मिश्रा जब अपनी टीम के साथ बिकरू गांव में दबिश देने गए तो विनय ने मुखबिरी कर दी।
विकास दुबे ने कहा था- 'मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे'
कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। इसमें सीओ देवेंद्र मिश्र भी शामिल थे। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया। गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को इस बात का अंदाजा नहीं था कि कानपुर की सीमा में दाखिल होते ही उसका एनकांउटर हो जाएगा। विकास ने पुलिस की टीम से कहा था कि मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे। दबिश की रात कहां से गोलियां चल रही थी? कौन गोलियां चला रहा था, किसी ने नहीं देखा है? मैं तो कोर्ट में बोल दूंगा कि मैं तो था ही नहीं। मेरे पास कोई लाइसेंसी असलहा भी नहीं है। चार से पांच साल बाद जमानत हो जाएगी।