कासगंज पुलिस ने दो दिन पूर्व हुई हत्या का किया खुलासा, 3 शातिर अभियुक्तों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
कासगंज: 13. मार्च .2023 को वादी हरिओम पुत्र श्रीनिवास एटा जनपद के थाना मिरहची क्षेत्र के गाँव जवाहरी ने थाना सहावर पर सूचना दी कि 12.मार्च.2023 को मैं व मेरे पिता श्रीनिवास थाना सहावर क्षेत्रांतर्गत अपने अस्थाई निवास ग्राम फरीदपुर पर थे तभी नेपाल पुत्र नामालूम निवासी ग्राम मौजपुर बल्लभगढ़ हरियाणा, साहब सिंह पुत्र अमर सिंह व कहरी सिंह पुत्र भगवान सहाय निवासीगण ग्राम गंगपुर थाना सहावर कासगंज, चक्रपाल पुत्र सियाराम व ब्रजेश पुत्र चक्रपाल निवासीगण ग्राम खंगारनगर फरीदपुर थाना सहावर जनपद कासगंज व अन्य दो अज्ञात लोग आए और मेरे पिता श्रीनिवास व रामजीलाल को पंचायत और खेतीबाड़ी की कहकर स्प्लेंडर मोटर साइकिल पर अपने साथ ले गए थे। रास्ते में रामजीलाल को उक्त लोगों ने जबरदस्ती मोटरसाइकिल से उतारकर मेरे पिता जी अपने साथ ले गये । 13.मार्च की सुबह मेरे पिता श्रीनिवास का शव ग्राम बंजारा स्थित नहर के किनारे पड़ा मिला । प्रकरण के सम्बन्ध में वादी हरिओम की लिखित तहरीर के आधार पर थाना सहावर पर केस पंजीकृत विवेचना प्रारम्भ की गयी थी।
पुलिस अधीक्षक कासगंज सौरभ दीक्षित द्वारा उक्त घटना को गम्भीरता से अभियुक्तगण की शीघ्र गिरफ्तारी हेतु स्थानीय पुलिस व एसओजी की टीम गठित की गयी । टीम द्वारा किये गये निरन्तर प्रयासों के क्रम में आज 15.मार्च को मुखबिर खास की सूचना पर 3 शातिर अभियुक्तगण 1. नेपाल सिंह पुत्र खिच्चू सिंह निवासी ग्राम मौजपुर थाना छायसा जिला फरीदाबाद हरियाणा 2. बृजेश पुत्र चक्रपाल निवासी खंगारनगर थाना सहावर जिला कासगंज 3. चक्रपाल पुत्र सियाराम निवासी खंगारनगर थाना सहावर जिला कासगंज को गंगपुर को जाने वाले कच्चे रास्ते थाना क्षेत्र सहावर से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की गयी । गिरफ्तार अभियुक्तगण की निशानदेही पर आलाकत्ल डंडा व घटना में प्रयुक्त इको कार कार बरामद की गयी ।
पूछताछ मे कबूला जुर्म मांगी माफी
गिरफ्तार अभियुक्तगण से पूछताछ की गयी तो अभियुक्त नेपाल ने बताया कि साहब मैंने करीब 18 वर्ष पूर्व करीब 43 बीघा जमीन गाँव फरीदपुर में जाटव समाज के लोगों से खरीदी थी मैं खटीक जाति से हूँ मैंने यह जमीन करीब 3 वर्ष पूर्व श्रीनिवास पुत्र होल सिंह हाल निवासी जवाहरी थाना मिरहची जनपद एटा को बेच दी थी जिसमें मुझे करीब 10 लाख रूपये नकद दे दिये थे बाकी शेष साढे सत्तर लाख रूपये का चैक से दिया था और बाकी शेष करीब 17 लाख रूपये बाद में देने को कहा । मैंने विश्वास पर श्रीनिवास के नाम बैनामा करा दिया था जब मैंने चैकों को बैंक में भुगतान के लिए डाला तो चैक दिये गये खाते में पैसे नहीं थे तो वह चैक बाउन्स हो गया था इसकी शिकायत मैंने श्रीनिवास से की तो वह आना कानी करने लगा और बार बार रूपये मांगने पर मेरे रूपये नहीं दे रहा था।
मेरे खेत पर ट्यूवेल की कोठरी बना ली थी और कब्जा भी कर लिया था मैं तीन वर्ष से अपने पैसे बार बार मांग रहा था लेकिन श्रीनिवास मेरे पैसे कुल करीब 31 लाख रूपये नहीं दे रहा था । मैंने अपने दोस्तों के साथ एक योजना बनाई कि यदि हम श्रीनिवास की हत्या कर देगें तो मेरे खेत पर से कब्जा हट जायेगा । इस बात की योजना बनाकर मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर श्रीनिवास की हत्या कर दी थी और शव को चक्रपाल की ईको कार में रखकर नगला बंजार उर्फ मोहनगढ़ की सीमा में नहर की पटरी के किनारे बनी सड़क पर फेंक आये तथा लाश के ऊपर मोटरसाइकिल को डाल दिया था ताकि लोग इसे दुर्घटना समझे । साहब हमसे गलती हो गयी । हमें मांफ कर दो ।