कासगंज. उत्तर प्रदेश के कासगंज में बेसिक शिक्षा विभाग को चमका देकर बड़ा फर्जीवाड़ा करने वाली शिक्षिका अनामिका सिंह के मामले में एक नया मोड़ आया है. पुलिस की पूछताछ में अपना नाम अनामिका सिंह बताने वाली कोई और नहीं बल्कि प्रिया जाटव है. लेकिन अभी तक खुलासा नहीं हुआ है कि असली अनामिका शुक्ला कौन है? जिसके नाम से उत्तर प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में शिक्षिकाएं नौकरी कर रही है. फिलहाल पुलिस अनामिका सिंह से पूछताछ में जुटी है.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस को किया गुमराह
दरअसल, कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों में संविदा पर लगने वाली नौकरी में दस्तावेज की जांच नहीं होती है. साक्षात्कार के दौरान ही असली अभिलेख देखे जाते हैं. चयन मेरिट के आधार पर होता है. ऐसे में अनामिका के दस्तावेजों को आधार बनाया, क्योंकि इसमें ग्रेजुएशन को छोड़ कर हाईस्कूल से इंटर तक 76 फीसद से ज्यादा अंक हैं. जनपद कासगंज में पकड़ी गई कथित अनामिका (असली नाम प्रिया जाटव) के अनुसार, उसकी मुलाकात गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी करते वक्त ही मैनपुरी निवासी राज नाम के व्यक्ति से हुई थी. उसने प्रिया को नौकरी की सलाह दी. एक लाख रुपये में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वायदा किया. उसने ही अगस्त 2018 में इसे नियुक्ति पत्र भी दिला दिया था.
गंभीर धारों में केस दर्ज
बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल के अनुसार अनामिका शुक्ला के मूल दस्तावेजों में धुंधली फोटो भी इस कॉकस की मददगार बनी. साक्षात्कार के दौरान यह फोटो देखी जाती है, लेकिन धुंधली होने पर अभ्यर्थी के आधार कार्ड और अन्य पहचानपत्र के आधार पर चयन किया जाता है. जिस तरह से बैंकों में अनामिका शुक्ला के नाम से खाता खुलवाया गया, उससे माना जा रहा है कि आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज फर्जी तैयार कराए गए हैं. कोतवाली सोरों पुलिस ने बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल की तहरीर पर अनामिका के खिलाफ धोखाधड़ी एवं कूटरचित अभिलेख तैयार करने के मामले में धारा 420, 467 एवं 468 में मुकदमा दर्ज किया है.
वहीं, धारा 471 लगाने की भी तैयारी पुलिस कर रही है. इंस्पेक्टर रिपुदमन सिंह का कहना है मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन पूछताछ में नाम सहित कई अन्य जानकारियां मिली है. उनको भी जांच में शामिल किया जा रहा है. अब पुलिस जांच के बाद ही मामले की परतें खुलेगी कि इस खेल में कौन- कौन लोग शामिल है. और इसके तार कहां तक जुड़े हुए है.