Kaushambi News: पति की अंतिम इच्छा के सम्मान के लिए पत्नी ने घर के आंगन में बना दी अपने पति की कब्र
कौशाम्बी। जिले में एक महिला ने पति की मौत के बाद उसके शव को अपने घर के ही आंगन में कब्र बनाकर दफन कर दिया। महिला के पति करन ने 8 मार्च को घर के कमरे में बंद कर खुदकुशी कर ली थी। मृतक करन की विधवा के इस फैसले ने समाज में नई बहस को जन्म दे दिया है। मनोरोग चिकित्सक इसे एक बीमारी के तौर पर देख रहे है, तो धर्माचार्य वैदिक सामाजिक परंपरा का अपमान बता रहे है। हालाकि महिला पूजा का कहना है उसने पति की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उसने घर में ही उनकी कब्र बनाई है।
मंझनपुर कस्बे के गांधी नगर निवासी करन हेला (35) एक निजी अस्पताल में सफाई कर्मी थे। आठ मार्च को करन ने पत्नी पूजा व अपने दो बच्चों बेटी पीहू (3) व बेटा वंश (4) को एक कमरे में कैद कर दूसरे कमरे में जाकर फांसी लगा ली थी। घटना देख रही पत्नी व बच्चों ने शोर मचाकर उसे जान नहीं देने के लिए गुहार लगाई लेकिन करन नहीं माना। पूजा का कहना है कि पति ने मरने से पहले कहा था कि उसकी कब्र घर में ही बनवाई जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बहुत पछताना पड़ेगा। बेबस पूजा ने अपने पति के अंतिम इच्छा का सम्मान रखा। उसने घर की चहारदीवारी में बने मंदिर के समीप पति को कब्र बनाकर दफन कराया। इस घटना को लेकर परिवार व अन्य रिश्तेदार हतप्रभ हैं। बस्ती के लोग भी सकते में हैं।
करन की शादी वर्ष 2013 में फतेहपुर जिले के धाता कोतवाली इलाके के थूला गांव की पूजा के साथ हुई थी। पूजा के ससुर सुरेंश चंद्र पैतृक गांव कोखराज कोतवाली के गरीब का पुरवा में रहते हैं। सास चंदा देवी प्रयागराज में किसी प्राइवेट संस्थान में काम करती है। पूजा का कहना है पांच मार्च को उसकी बहन रंजना की शादी थी। शादी में करन भी गए थे। वहां से वह वापस लौटे। होली वाले दिन उन्होंने जिद करके पत्नी व बच्चों को अपने पास बुला लिया और सभी के सामने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
मृतक करन की मां चंदा देवी ने बताया कि उसके दो बेटे करन व शिवचरन थे। शिवचरन दिल्ली में रहकर काम करता था। पांच साल पहले उसने भी दिल्ली में फांसी लगाकर जान दे दी थी। अब बड़े बेटे करन ने भी उसी तरह जान दे दी।पूजा ने बताया कि उसके पति पिछले कुुछ दिनों से बीमार रहते थे। वह कहां इलाज कराते थे और बीमारी क्या थी? इस बाबत कभी उन्होंने कुछ नहीं बताया, पूछने पर सिर्फ सुगर होना बताया करते थे।
पूर्व प्राचार्य व धर्मशात्री प. ज्ञानेंद्र शास्त्री ने बताया, वैदिक धर्म में किसी की मौत होने के बाद शव को घर के अंदर रखना भी गलत है। दफन करना तो दूर की बात है। शव का अंतिम संस्कार शमसान या गंगा घाट पर करना चाहिए।बहरहाल अपने पति की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए पूजा ने अपने पति को हमेशा अपने पास रखने के लिए अपने घर के आंगन में ही उनकी कब्रगाह बना दी है।
सुशील केसरवानी वरिष्ठ पत्रकार