औरैया सड़क हादसे के बाद यूपी में एक और बड़ा हादसा
महोबा हादसे में 3 की मौत, बच्चे को बचाने में गई मां की जान; पिता जिंदगी और मौत से जूझ रहा
महोबा: प्रवासी मजदूरों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. औरैया सड़क हादसे के बावजूद भी प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है. एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के साथ हादसा हो गया है. उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में मजदूरों से भरी एक डीसीएम गाड़ी टायर पंचर होने की वजह से पलट गई. इस हादसे में तीन महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए.
यह हादसा सोमवार देर रात पनवाड़ी कोतवाली क्षेत्र के झांसी-मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर महुआ की मोड़ पर हुआ. जहां एक डीसीएम गाड़ी में सवार होकर लगभग दो दर्जन प्रवासी मजदूर महोबा आ रहे थे. तभी डीसीएम टायर पंचर होने की वजह से पलट गई. इस हादसे में तीन महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. घटना की सूचना मिलने पर मौके में पहुंचे जिला प्रशासन के आलाधिकारियों ने घायलों को आनन-फानन में इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पनवाड़ी में भर्ती करवाया.
दरअसल लगभग दो दर्जन प्रवासी मजदूर दिल्ली से पैदल चलकर महोबा आ रहे थे. मजदूरों के मुताबिक हरपालपुर यूपी-एमपी बार्डर पर पुलिस ने उन्हें डीसीएम गाड़ी में बैठा दिया. यह गाड़ी लोहे का सामान लादकर महोबा की ओर आ रही थी. जैसे ही यह गाड़ी महुआ मोड़ के पास पहुंची, अचानक टायर पंचर होने के कारण पलट गई. जिसमें सवार मजदूर दब गए और लोहे का सामान उनके ऊपर जा गिरा. हादसा होते ही वहां से गुजर रहे लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी.
महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार ने बताया, 'डीसीएम में महोबा के 17 लोग सवार होकर आ रहे थे. गाड़ी का पिछला टायर फट जाने से वो पलट गई. इस हादसे में तीन महिलाओं की मौत हो गई है जबकि चार लोगों की हालत गंभीर है. छह लोगों को कम चोट लगी है, जिनका इलाज सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पनवाड़ी में चल रहा है. यह लोग दिल्ली से आ रहे थे और हरपालपुर से डीसीएम में बैठ गए, यह सभी लोग महोबा जिले के ही रहने वाले हैं.'
बता दें कि औरैया हादसे के बाद योगी सरकार ने सभी जिलों के डीएम को आदेश दिया था कि ट्रक पर सवार मजदूरों को बॉर्डर पर ही रोककर, उन्हें भेजने की व्यवस्था की जाए लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही ने तीन महिलाओं की जान ले ली. इस हादसे में एक मां ने अपने मासूम बच्चे को बचाने के चक्कर में जान गंवा दी. जबकि बच्चे का पिता अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. इस बच्चे को एक स्थानीय ने उठाकर उसे दूध पिलवाया और उसका सहारा बना.
बच्चे के मददगार रमेश ने बताया, 'यह बच्चा महोबा के चपका बिहार का रहने वाला है. इस हादसे में इसकी मां मर चुकी है और इसके पिता की हालत गंभीर है. जिन्हें महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया है. यह बच्चा रो रहा था, जिसे दूध पिलाने के लिए ले गए थे.' जबकि हादसे से पहले डीसीएम में सवार मेनका ने बताया कि वह दिल्ली से पैदल आ रही थी. हरपालपुर के पास पुलिस ने उन लोगों को डीसीएम में बैठा दिया था. उन्हें महोबा के कमालपुरा जाना है.