यूपी की सबसे बड़ी खबर जहां बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द कर दी गई है। इससे पहले यूपी में सपा के विधायक आजम खान की सदस्यता अभी बीते सप्ताह समाप्त की जा चुकी है। इस बात को लेकर रालोद चीफ जयंत चौधरी ने इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष से सवाल किया था।
मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट से हुई दो साल की सजा के मामले में खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की है।
कवाल कांड़ के बाद हुए झगड़े के मामले में विधायक विक्रम सैनी समेत 12 आरोपियों को अदालत ने 11 अक्तूबर को दो-दो साल कारावास और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। विधायक समेत सभी आरोपियों की जमानत अर्जी भी स्वीकृत हो गई थी। निचली अदालत के फैसले पर विधायक ने हाईकोर्ट में अपील दायर की है।
विधायक के अधिवक्ता भारतवीर अहलावत ने बताया कि अपील दायर कर दी है, जल्द ही सुनवाई की तिथि तय हो जाएगी। उधर, जिला प्रशासन ने स्थानीय अदालत के फैसले की कॉपी भी शासन को भेज दी है। डीजीसी राजीव शर्मा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि डीएम ऑफिस के माध्यम से विधायक को सजा की कॉपी भेजी गई है।
यह था मामला
कवाल कांड के बाद 29 अगस्त 2013 को कवाल गांव में दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। हिंसा और आगजनी की घटना के बाद पुलिस ने तब पूर्व प्रधान के पति विक्रम सैनी समेत 28 लोगों के खिलाफ सिखेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
प्रकरण की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में हुई। विधायक समेत 12 आरोपियों को धमकी देने के मामले में दो साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। धारा 148 में दो साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया था।
इसलिए तूल पकड़ रहा मामला
सपा नेता पूर्व मंत्री आजम खान को सजा सुनाए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता चले जाने के मामले के बाद विक्रम सैनी का प्रकरण भी तूल पकड़ा रहा है। विपक्ष के नेता सवाल उठा रहे हैं। रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह ने भी इस बाबत पत्र लिखा है। जबकि विक्रम सैनी का कहना है कि रालोद अध्यक्ष को नियमों की जानकारी ही नहीं है।