आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर अनिल शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर अनिल शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने शर्मा को दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है. इस दौरान वे शंकर नेत्रालय चेन्नई में अपने चेकअप करा पाएंगे और ग्लूकोमा ऑपरेशन के लिए चेन्नई जा सकते हैं. मेडिकल जमानत अगले आदेश तक जारी रहेगी. साथ ही पीएमएलए कोर्ट में रेगुलर जमानत याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया. वहीं, कोर्ट ने ग्रुप के दूसरे डायरेक्टर शिव प्रिया को भी दिवाली तक राहत दी है. कोर्ट ने अंतरिम जमानत बढ़ाने से इंकार कर दिया है और दिवाली के बाद सरेंडर करने के निर्देश दिए हैं.
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अनिल शर्मा के वकील रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. इस दौरान कोर्ट ने शर्मा के वकील से तीखे सवाल पूछे. अनिल शर्मा फिलहाल 24 मामलों में हिरासत में हैं. उनके खिलाफ दायर PMLA केस में अभी ट्रायल चल रहा है. अभी तक 2 से 3 गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए हैं. शर्मा के वकील ने कहा कि शर्मा साढ़े तीन साल से न्यायिक हिरासत में हैं. अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है. रिसीवर की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार हमको 50 करोड़ रुपए जमा करने हैं. इसमें से 29 करोड़ रुपए हम जमा कर चुके हैं.
अनिल शर्मा के वकील ने कहा कि जेल में रखने से पैसा वापस करना आसान नहीं होगा. कोर्ट ने पूछा कि अगर आपको रिहा किया जाता तो क्या रिकवरी में आसानी होगी? रिहा करने के बाद ही मैं पैसों के अरेंजमेंट की कोशिश कर सकता हूं. एक ही प्रोजेक्ट के लिए कई शिकायतें दर्ज की गई हैं. करीब 4 साल से जेल में हूं. जबकि सभी मामले में अधिकतम सजा 7 साल की है. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल शर्मा के वकील से पूछा कि 30 केस में हिरासत में हैं, जिसमें से सिर्फ 6 केस में जमानत मिली है. अभी 24 केस में आप हिरासत में हैं. इन मुकदमों में कितने में आपकी जमानत याचिका कितनी बार खरिज हुई है?
अनिल ने ग्लूकोमा सर्जरी के लिए मेडिकल जमानत मांगी थी
इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा- आप कितने केस में जमानत की मांग कर रहे हैं? अनिल शर्मा के वकील ने कहा कि हमने 24 केसों में जमानत की मांग की है. CJI ने कहा कि यानी आप एक याचिका में सभी 24 केसों में जमानत की मांग कर रहे हैं. आम्रपाली के प्रमोटर अनिल कुमार शर्मा ने अपनी आंखों के लिए ग्लूकोमा सर्जरी कराने के लिए मेडिकल जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए अनुमति मांगी.
वहीं, SC ने नोट किया कि आम्रपाली के निदेशक शिव प्रिया को PMLA में जमानत नहीं दी गई थी और PMLA मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राहत की मांग करने वाला नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता को सलाह दी गई है कि वह उचित स्तर पर पीएमएलए के तहत जमानत के संबंध में चुनौती ले सकता है. चूंकि, याचिकाकर्ता की बेटी के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, इसलिए दी गई अंतरिम जमानत को वापस ले लिया है. याचिकाकर्ता को 7 नवंबर से पहले दिल्ली में CMM ईस्ट की संबंधित कोर्ट में सरेंडर करना होगा और उसे हिरासत में ले लिया जाएगा. जहां तक जमानत आवेदन को चुनौती देने का संबंध है तो याचिकाकर्ता सिर्फ सरेंडर करने के बाद ही रिट याचिका की सुनवाई के लिए अपील का हकदार हो सकता है.
कोर्ट ने साफ कहा है कि हम महसूस करते हैं कि चूंकि दिवाली नजदीक है, इसलिए आप परिवार के साथ रहना चाहते हैं. हम अंतरिम जमानत को 2 सप्ताह के लिए बढ़ा सकते हैं लेकिन आपको बाद में सरेंडर करना होगा. CJI ने कहा कि हम आपको जमानत नहीं दे रहे हैं. हमने सिर्फ इतना कहा कि हम अंतरिम सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली के पूर्व सीएफओ चंद्र प्रकाश वाधवा की अंतरिम जमानत से संबंधित मामले को उठाया गया. CJI बेंच का कहना है कि उनकी मेडिकल स्थिति पर विचार करने के लिए उन्हें एम्स मेडिकल बोर्ड के सामने पेश किया जा सकता है.
CJI ने नोएडा प्राधिकरण से पूछा कि आम्रपाली घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उनके कार्यों से नोएडा को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है. घर खरीदने वाले इंतजार कर रहे हैं, बैंक इंतजार कर रहे हैं. जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं आप उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. इस पर नोएडा प्राधिकरण के वकील ने कहा कि हम फिलहाल कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं हैं. नोएडा के नियमों को केंद्रीय सेवा नियमों से बदल दिया गया है. सेवानिवृत्त लोग हमारे नियंत्रण में नहीं हैं