(धीरेन्द्र अवाना)
नोएडा।देश व धर्म के लिए गुरु गोविंद सिंह के बलिदान को याद करते हुए ब्राह्मण रक्षा दल के मुख्य संरक्षक व सेक्टर 22 आरडब्ल्यूए संरक्षक पंडित रवि शर्मा ने कहा कि देश व धर्म की रक्षा के लिए 21 दिसंबर से 27 दिसंबर तक इन्हीं 7 दिनों में गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। उसी रात माता गुजरी ने भी ठंडे बुर्ज में प्राण त्याग दिए। यह सप्ताह भारत के इतिहास में शौर्य एवं बलिदान का सप्ताह है।
पंडित रवि शर्मा ने कहा कि मेरा आप सब से विनम्र निवेदन है कि अपने परिवार में गुरु गोविंद सिंह जी, उनके चारों शहजादे एवं उनकी माता जी के अपने धर्म के प्रति त्याग एवं बलिदान की चर्चा अवश्य करें। शहजादे अजीत सिंह केवल 17 वर्ष की आयु एवं जुझार सिंह जी जो केवल 13 वर्ष के थे 21- 22 दिसंबर 1704 दिसंबर को चमकौर के युद्ध में अपने 40 संत सिपाहा सालार के साथ नवाब वजीर खान की सेना से लड़ते हुए युद्ध स्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हुए।
पंडित रवि शर्मा ने कहा कि नवाब वजीर खान ने फतेह सिंह जी जो केवल 6 वर्ष के थे एवं जोरावर सिंह जी जो केवल 8 वर्ष के थे को 26 दिसंबर 1704 के दिन दीवार में जिंदा चुनवा दिया।माता गुजरी जी ने 27 दिसंबर 1704 को अपने प्राण त्याग दिए थे।साथियों आज भी पंजाब के सरहिंद और आसपास के क्षेत्रों के सभी निवासी 25 दिसंबर को जमीन पर सोकर श्रद्धांजलि देते हैं। यह बड़ी दुख की बात है कि हमने अपने गौरवशाली इतिहास को भुला दिया और यही मूल कारण है हमारी गुलामी का।
आइए,सभी ज्ञात -अज्ञात महावीर -अमर बलिदानी को याद करें जिनके कारण आज हिंदू सनातन संस्कृति जीवित है।