नोएडा में गर्भवती महिला की मौत पर बड़ी कार्रवाई, ESI अस्पताल के डायरेक्टर पर गिरी गाज
ईएसआई (ESI) के निदेशक डॉ अनीश सिंघल का तबादला कर दिया गया है?
नोएडा : यूपी के नोएडा में इलाज के अभाव में 8 माह की एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए ईएसआई (ESI) के निदेशक डॉ अनीश सिंघल का तबादला कर दिया गया है. मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई की गई है. अनीश सिंघल के स्थान पर अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट (डीएमएस) डॉ बलराज भंडर को सेक्टर 24 स्थित ईएसआई का निदेशक बनाया गया है.
जिलाधिकारी ने दिए थे जांच के आदेश
35 वर्षीय गर्भवती महिला नीलम की मौत के बाद जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने शासन व श्रम विभाग को कार्रवाई करने के लिए चिठ्ठी लिखी थी. आदेश के अनुसार डॉ बलराज भंडर ईएसआई नोएडा के निदेशक होंगे. नीलम की मृत्यु के बाद दो सदस्यीय समिति बना कर जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने जांच कराया था. दो दिन पूर्व आए समिति की रिपोर्ट में बताया था कि ईएसआई अस्पताल में इलाज की समुचित व्यवस्था और वेंटिलेटर होने के बावजूद ईएसआई के अधिकारियों व कर्मचारियों ने नीलम को सेक्टर 30 स्थित जिल अस्पताल में रेफर कर दिया था.
जानकारी के मुताबिक, महिला 8 माह की गर्भवती थी. उसकी मौत के बाद बच्चे ने भी मां के पेट में दम तोड़ दिया. परिजनों का कहना है कि वे गर्भवती महिला को लेकर कई घंटों तक एंबुलेंस से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी ने एडमिट नहीं किया. हद तो तब हो गई जब प्राइवेट अस्पताल के साथ-साथ सरकारी अस्पताल ने भी महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया.
गाजियाबाद की रहने वाली थी महिला
महिला गाजियाबाद के खोड़ा इलाके की रहने वाली थीं. उनकी पहचान नीलम कुमारी के तौर पर की गई है. पहले से उनका इलाज शिवालिक हॉस्पिटल में चल रहा था. शुक्रवार को नीलम को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसके बाद घर वाले उन्हें लेकर अस्पताल गए, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया. परिजनों का कहना है कि वे शुक्रवार की सुबह 6 बजे नीलम को लेकर घर से अस्पताल के लिए निकले थे, लेकिन 12 घंटे तक कई अस्पतालों का चक्कर लगाने के बाद भी किसी ने भर्ती नहीं किया.
अखिलेश यादव ने यूपी सरकार साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर जोरदार हमला किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना के लिए 1 लाख बेड के इंतजाम का दावा करने वाली यूपी सरकार आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेड आरक्षित क्यों नहीं करती.