शिकायतों के बाद भी नहीं जाग रहा प्रशासन, बाइक बोट पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई ?
बड़ी तादाद में भोले भाले लोगों को लूटा जा रहा है। रोज किसी न किसी अखबार में फर्जी स्कीम की खबरे छापी जा रही है लेकिन प्रशासन, पुलिस और सरकार के कानों पर कोई जूं नहीं रेंग रही। ऐसा लग रहा है जैसे इन सबको शांत बैठे रहने का आदेश दिया गया हो क्योंकि मीडिया की लाख कोशिशों के बाद भी प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। हम बात कर रहे हैं पोंजी स्कीम बाइक बोट की। जिले में पिछले कई दिनों से इस फर्जी स्कीम की शिकायतें और खबरें सामने आ रही हैं लेकिन प्रशासन और पुलिस कोई कार्रवाई करने को राजी नहीं है।
मानो उन्हें कुछ पता ही न हो। बाइक बोट कंपनी अपना हेल्पलाइन नंबर बंद कर देती है। बाइक बोट में इंवेस्ट करने वाले लोग रोज चक्कर काटते हैं और उन्हें कुछ नहीं मिलता। अगर मिलता भी है तो सिर्फ आश्वासन वो भी अगले दो-चार महीनों या फिर साल भर बाद (कंपनी द्वारा दिए जाने वाले चेक) का। अभी हाल ही में कंकरखेड़ा थाने में एक रिटायर्ड फौजी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। रिटायर्ड फौजी ने बाइक बोट कंपनी में लोगों की तकरीबन 600 से 700 बाइक लगवाई थी जिसमें लोगों ने करीब 40 करोड़ रुपए बाइक बोट में इंवेस्ट किए थे। पहले तो लोगों को बाइक बोट की तरफ से रिटर्न मिला लेकिन कुछ वक्त बाद ही वो रिटर्न मिलना बंद हो गया क्योंकि लोगों को कंपनी के साथ रिटायर्ड फौजी ने जुड़वाया था इसलिए लोग लगातार रिटायर्ड फौजी से पैसा वापस दिलवाने की मांग कर रहे थे। इसी तनाव के चलते रिटायर्ड फौजी गायब हो गया। इतनी ही नहीं इस कंपनी पर पहले भी पैसे न देने के आरोप लगते रहे हैं। कंपनी से पैसा न मिल पाने से निवेशकों में हड़कंप मच गया है। कंपनी में हजारों लोगों के करोड़ों रुपए दांव पर लगे हैं। मेरठ पुलिस ने मामले की जांच के लिए बाइक बोट के नोएडा स्थित मुख्यालय से रिपोर्ट तलब करने का फैसला भी किया था लेकिन शायद अभी तक कोई कार्यवाही हुई नहीं है।
नोएडा में भी कई लोगों ने पुलिस को लिखित में शिकायतें दी हैं फिर भी पुलिस का रवैया जस का तस बना हुआ है। कुछ लोग कंपनी बनाकर फ्रॉड करते है। लोगों का हजारों-करोड़ों रुपया उस कंपनी में इंवेस्ट करवाते है और फिर पैसे वापस देने के नाम पर उन्हें सिर्फ आश्वासन देते है। इतना कुछ होने के बावजूद भी प्रशासन, पुलिस और सरकार खामोश बैठे रहते हैं, क्यों? यहां तक पता चला है कि बसपा ने इन्हीं खबरों की वजह से बाइक बोट कंपनी के मालिक संजय भाटी को चुनाव में टिकट देने से मना कर दिया। परंतु गनीमत यह रही कि उनके द्वारा मासूम निवेशकों का दिया गया 15 करोड रुपए सतवीर नागर की टिकट में एडजस्ट हो गया।
फिर भी पुलिस, प्रशासन और सरकार मौन है, क्यों? क्या पुलिस, प्रशासन और सरकार को इस फ्रॉड कंपनी की तरफ से कोई तोहफा दे दिया गया है जिसके चलते कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है? अगर प्रशासन और पुलिस का रवैया ऐसा ही रहा तो 5000 करोड़ के घोटाले में उनकी भूमिका भी संदिग्ध हो जाएगी। और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी क्योंकि तब तक कंपनी सब कुछ लूट कर फरार हो चुकी होगी।
बाइक बोट कंपनी के एक टीम लीडर के द्वारा विशाल इंडिया के संपादक जितेन्द्र चौधरी को धमकी भी दी गई जिसकी उन्होंने लिखित शिकायत जिले के एसएसपी से की परंतु उस पर भी प्रशासन ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है।शायद प्रशासन किसी और बड़ी घटना के इंतजार में हैं। बाइक बोट के साथ साथ बाइक यात्रा नाम की एक दूसरी स्कीम भी जिले में बड़े जोरों शोरों से फल-फूल रही है और प्रशासन हमेशा की तरह अपनी आंखों पर काली पट्टी बांधे बैठे हुआ है।