धीरेन्द्र अवाना
नोएडा। नोएडा प्राधिकरण द्वारा अतिक्रमण के नाम पर किसानों का घर तोड़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।इसी विषय को लेकर घर बचाओ किसान आंदोलन के बैनर तले सभी किसान संगठनों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों ने नोएडा प्राधिकरण का घेराव कर तालाबंदी की। हजारों की संख्या में मौजूद किसानों ने प्राधिकरण के खिलाफ हलला बोला।इस में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। दादरी के कचेडा गांव से शुरु हुये इस आंदोलन की आग अब नोएडा के बख्तावरपुर गांव पहुच चुकी है।
किसानों ने प्रधिकरण का घेराव करके प्राधिकरण की दमनकारी नीतियों का विरोध किया।इस अवसर पर किसान नेता राम कुमार तंवर ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण के किसान विरोधी रवैया के बदौलत आज पूरे जिले का किसान रोड पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गया है।जिस जमीन का किसान ने अभी तक मुआवजा भी नहीं उठाया है उस जमीन को प्राधिकरण अवैध तरीके से कैसे अपने कब्जे में ले सकती है।
अमित अवाना ने बताया कि नोएडा विकास प्राधिकरण का नाम बदलकर नोएडा जन विनाश प्राधिकरण रख देना चाहिए। क्योंकि प्राधिकरण ने सारे गाँवों में तानाशाही रवैया अपनाते हुए किसानों का शोषण करने का काम किया है। किसानों की जमीन ओने पौने दाम लेकर उस जमीन को करोड़ों के भाव में बड़े-बड़े बिल्डरों को देने का काम किया है। प्राधिकरण घूस लेकर बड़े-बड़े बिल्डरों को प्लॉट आवंटन कर रहा है। किसानों की मूल आबादी को तोड़कर किसानों को बेघर करने का काम प्राधिकरण पिछले कई सालों से करता रहा है।इस दौरान किसानों एक दल प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार मिश्रा से मिला। उन्होने आश्वासन देते हुए कहा कि दो दिन में अंदर ही किसानों के साथ न्याय किया जाएगा।
प्रदर्शन के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे। जिसमें मुख्य रूप से मनवीर भाटी,जग्गी पहलवान ,सुरेंद्र प्रधान,आकाश नागर,लीले प्रधान,राजेश अवाना,इंदर अवाना,रघुराज नेताजी,मटरू नागर,हैप्पी पंडित,बेगराज गुर्जर,पहलवान सुखबीर यादव,वीरेंद्र भाटी,धीरज नागर,सतीश चौहान,धर्मपाल यादव,आकाश नागर,प्रवीण नागर,बाली गुर्जर,श्रिया तवर,विपिन तवर,सुमित तंवर, विनोद तवर,सोनू प्रधान,नरेश छपरगढ़,धर्मेंद्र प्रधान, शिव कुमार तवर,अवनीश तवर,रिंकू तवर,प्रिंस तवर,धर्मेंद्र गुर्जर,देवेंद्र गुर्जर,सुनील चौधरी,मनीष चौधरी,सुरेश प्रधान,गौतम अवाना,ललिता अवाना,पुरुषोत्तम नागर,अजीत दौला,फिरे नागर,विनय तंवर आदि हजारों संख्या में किसान शामिल थे