किसानों की अनदेखी सांसद महेश शर्मा को पड़ सकती है महंगी!

जो जनता के दुख दर्द में उनके साथ रहता है या फिर वो जो उनको नजर अंदाज करता है।

Update: 2024-01-08 13:46 GMT

(धीरेन्द्र अवाना)

नोएडा। आगामी लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरु हो चुकी है। मात्र कुछ महीने में ही लोकसभा चुनाव शुरु हो जाएंगे।तमाम राजनेता लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी अपनी दावेदारी पेश कर रहे है।अपनी दावेदारी का दांव भरने वाले लोग जनता के बीच फोटो खींचवा कर अपने आप को जनता का हितैषी दिखाने का प्रयास रहे है।लेकिन शायद वो लोग भूल गए है कि ये जनता है सब जानती है।बात करें गौतमबुद्ध नगर की तो यहा से मौजूदा सांसद महेश शर्मा पिछले दो बार चुनाव जीतते आये है।लेकिन जनता के कार्य में रुचि ना लेने की वजह से आज सांसद का पुरजोर विरोध हो रहा है।

चुनाव नजदीक आते देख कर सांसद साहब भी जनता के बीच फोटो खींचवाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे है।वही दूसरी ओर कई दिनों से अपनी मांगो को लेकर 105 गांव के हजारों किसान ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे सांसद का इंतजार कर रहे है।लेकिन सांसद महोदय के पास इतना समय नहीं है कि वो उनसे मिल कर उनकी समस्या समझ सके।जिसकी वजह से जिले का किसान उनसे ख़फ़ा है।किसानों का आरोप है कि हमको इस कड़ाके की ठंड में बैठे हुए करीब 20 दिन हो गए है लेकिन अभी तक कोई भी जनप्रतिनिधि बात करने तक नहीं आया है।किसानों का कहना है कि हमें ऐसे जनप्रतिनिधि की कोई आवश्कता नहीं है जो हमारी समस्या का समाधान ना कर सके।किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि आने वाले चुनाव में हम ऐसे जनप्रतिनिधि का बहिष्कार करेंगे।


बता दे कि यह कोई पहला मामला नहीं जब किसानों ने सांसद का विरोध किया है।इससे पहले भी सांसद का विरोध अपने ही गोद लिए गांव कचेड़ा में साल 2018 में हुआ था।जब वहा पर स्थित एक बिल्डर ने आस पास के छह गांवो की ज़मीन लेकर ग्रामीणों को ना ही उचित मुवावजा दिया ना ही कोई सुविधा दी।उसके बाद भी सांसद ग्रामीणों के दुख में शामिल नहीं हुए थे।अपने ही गोद लिए गांव के दुख में शामिल ना होने के कारण सांसद को ग्रामीणों की नाराजगी झेलनी पड़ी।गांव वालों का कहना है कि इलाके के सांसद महेश शर्मा ने इलाके के विकास पर ध्यान नहीं दिया।उन्होंने बिल्डरों से मिलकर उनकी जमीनों पर कब्जा करवाया और किसानों की खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया।ग्रामीणों में सांसद के प्रति इतना गुस्सा था कि उन्होंने गांव के बाहर बोर्ड लगा दिया है जिसमें लिखा था कि किसी भी बीजेपी नेता का गांव में आना मना है।वही साल 2019 में दनकौर के मिर्जापुर गांव में तो दस गांव के लोगों ने इकट्ठा होकर सांसद को गांव में घुसने तक नहीं दिया था और गांव की सीमा से ही दौडाकर भगा दिया था।लोगों का कहना था कि हमारा भाजपा से कोई विरोध नहीं लेकिन सांसद महेश शर्मा ने आज तक हमारे गांवओ में कोई भी विकास कार्य नहीं करवाया ना ही जनता से उनकी समस्याओं को लेकर कोई संवाद किया है।


बात करें साल 2020 की तो किसानों की मांगे पूरी नहीं होने पर उन्होंने सांसद के नोएडा स्थित अस्पताल का घेराव किया।वही साल 2021 में किसानों ने अपनी मांगे पूरी नहीं होने पर सांसद के आवास का घेराव किया।साल 2022 में दूसरे गोद लिए गांव दुल्हेरा में भी सांसद को ग्रामीणों का गुस्सा का सामना करना पड़ा था।सिकंदराबाद तहसील के गांव दुल्हेरा के लोगों का आरोप था कि डॉ महेश शर्मा ने इस गांव को गोद लेना का ड्रामा किया था।गोद लेने के बाद से अब तक डॉ महेश शर्मा गांव में झांकने तक नहीं आए। चुनाव आने के समय ही इनको इस गांव की याद आती है। लोकसभा चुनाव आते ही भाजपा ऐसे ही सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करके उनकी छटनी करने की तैयारी में लगी हुयी है।अब देखना ये है की महेश शर्मा की जगह हाईकमान किस दावेदार को टिकट देती है। जो जनता के दुख दर्द में उनके साथ रहता है या फिर वो जो उनको नजर अंदाज करता है।

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