क्या सचमुच एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता न्यायपालिका से ऊपर हैं?

सचमुच माफियाओं की शपथ ग्रहण कर एसडीएम बने हैं?

Update: 2022-11-11 08:01 GMT

डा0वी0के0सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) 

उत्तर प्रदेश। दादरी तहसील ग्रेटर नोएडा। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि, समय और परिस्थितियों के अनुसार ही इतिहास गढ़ा जाता रहा है और निःसंदेह, भारत सरकार का कर्मचारी हो या राज्य सरकार का या फिर चाहें स्वयं सरकार ही क्यों न हो, 26 जनवरी 1950 के बाद, संविधान एव पद व गोपिनीयता की शपथ ग्रहण कर ही संवैधानिक पद पर आसीन हुये किन्तु, ये राज्य का दुर्भाग्य ही होगा कि, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता को, संविधान की शपथ नहीं बल्कि, भू-माफियाओं एव गंगेस्टरों की शपथ दिलाकर संवैधानिक पद भार दिया गया था ताकि, भले ही संविधान व कानून भ्र्ष्टाचार की अग्नि में स्वाहा हो जाये किन्तु, भू माफियाओं एव गैंगेस्टर्स को कानून की तपिश नहीं आनी चाहिये।

एसडीएम दादरी पर पीड़ित समाज द्वारा लगाये उक्त आरोपों की पुष्टि हेतु, बताना चाहूँगा कि, भू माफिया विवेक दहिया निवासी दिल्ली ने अंतर्गत धारा 24 उ0प्र0 राजस्व अधिनियम 2006, एसडीएम (न्यायिक) वाद संख्या T-202011270207081 वर्ष 2020 में विवेके दहिया बनाम देव दत्त शर्मा दायर किया जिसमें, भू- माफिया विवेक दहिया ने द्वारा वाद ग्राम हैबतपुर माजरे के खसरा संख्या 329 रकबा 0.3920 हे0 भूमि कब्जा माँग किया गया, अतः स्पष्ट होता है कि, विवेके दहिया के पास खसरा संख्या 329 की रजिस्ट्री व दाखिल खारिज तो था किन्तु, कहीं भी काबिज नहीं था। दौरान ए वाद, गैंगेस्टर्स एव भू-माफिया शपथ धारक एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता ने वर्ष 2021 में, राजस्व टीम गठित कर, पड़ोसी काश्तकार सुरेंद्र यादव आदि के खसरा संख्या 327 व 330 पर माफियाओं को कब्जा दे दिया, जो कि, न्यायक्षेत्र से परे व जानबूझकर न्याय को प्रभावित तथा न्यायपालिका को ठेंगा दिखाने के उद्देश्य से किया गया भा0द0सहिंता की धारा 186, 217, 218, 219, 221, 222 तथा 420 का अपराध है।

तत्पश्चात पीड़ित पक्ष सुरेद्र यादव आदि ने जिलाधिकारी के समक्ष एसडीएम दादरी के विरुद्ध लिखित शिकायती प्रार्थना पत्र प्रेषित किया किन्तु, न एसडीएम के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई और न ही, एसडीएम ने अपनी भूल सुधारने हेतु, कोई कदम उठाया कदाचित, भूल होती तो सुधार होती किन्तु जानबूझकर, सोंच समझकर यदि साजिशन अपराध किया गया हो तो, सुधार का न तो कोई औचित्य और न ही कोई स्थान होता है।

एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश/ निर्देश संख्या C- 24796/2021 को अपनी बदहाली पर आँसू बहाने के लिये कचरा पेटी में डाल दिया जिसमें, माननीय उच्च न्यायालय ने एसडीएम दादरी को आदेशित/निर्देशित किया था कि, वह त्वरित एक जाँच टीम गठित कर, राजस्व निरीक्षक एव लेखपालों द्वारा कृत्य अतिक्रमण को हटवाये तथा, प्रचलित वाद की अंतिम सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखें किन्तु, माफिया प्रेम के वशीभूत तथा, धन संपत्ति में यादव सिंह बनने की चाहत में, स्वः कृत्य अतिक्रमण नहीं हटा सके।

विश्वस्त सूत्रों की माने तो, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता की कचरा पेटी में क्षेत्रीय जनता के, जो कि, एसडीएम दादरी एव माफियाओं से पीड़ित हैं के- हजारों शिकायती पत्र अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहे हैं। बहराल, लेखक ने जो भी लिखा है प्राप्त, साक्ष्यों एव सूत्रों पर आधारित है, निर्णय सरकार एव न्यायपालिका पर निर्भर है?

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