नोएडा:गर्भवती महिला की मौत के मामले में ईएसआईसी अस्पताल के निदेशक पर गिरी गाज
(धीरेन्द्र अवाना)
नोएडा।कुछ दिन पूर्व गर्भवती महिला नीलम की अस्पताल की लापरवाही से हुयी मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है।मामले में जांच के दौरान नोएडा के सेक्टर 24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल के निदेशक की लाहपरवाही सामने आने पर उनके ऊपर गाज गिरी है।बताते चले कि अस्पताल के निदेशक डॉ अनीश सिंघल का ट्रांसफर दिल्ली कर दिया गया है। उनकी जगह अस्पताल के डीएमएस डॉ बलराज भंडार को अस्पताल का निदेशक बनाया गया हैं
।जानकारी के लिए बता दें कि गाजियाबाद निवासी महिला की मौत के मामले में जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने शासन और श्रम विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। पत्र लिखने के बाद पहली बार किसी बड़े अधिकारी पर कार्रवाई हुई है।गर्भवती के इलाज में हुई लापरवाही के मामले में जिला अस्पताल, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी), राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स ग्रेटर नोएडा) नोएडा के शिवालिक अस्पताल, फोर्टिस, जेपी अस्पताल और गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही सामने आई है।
निजी अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएमओ को जांच टीम गठित कर एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए हैं। गाजियाबाद के अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई के लिए वहां के डीएम को पत्र लिखा है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार घटना के दिन ईएसआइसी अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा के बावजूद गर्भवती को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था।एंबुलेंस चालक जिला अस्पताल के डॉक्टर को जानकारी दिए बिना महिला को अस्पताल गेट पर छोड़कर चला गया।जिला अस्पताल में गर्भवती को इलाज की सुविधा नहीं मिलने पर उसे हायर सेंटर के डॉक्टरों से संपर्क किए बिना ही ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने रेफर कर दिया। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स रोजबाला एवं वार्ड आया अनीता व सीएमएस डॉ. वंदना शर्मा के स्तर से लापरवाही बरती गई।वहीं दूसरी ओर निजी अस्पतालों ने बेड नहीं होने की बात का झूठा हवाला देकर मरीज को रेफर किया। जिससे समय से इलाज नहीं मिलने से गर्भवती की मौत हो गई।आपको बता दे कि
पांच जून को उपचार के अभाव में खोड़ा निवासी आठ माह की गर्भवती नीलम की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि वह नोएडा के ईएसआइसी, शिवालिक, फोर्टिस, जेपी व जिला अस्पताल, ग्रेटर नोएडा के जिम्स व शारदा अस्पताल एवं गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल में चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी भी अस्पताल ने गर्भवती का उपचार नहीं किया। अस्पताल के गेट से ही उनको टरकाते रहे और उनकी पत्नी की मौत हो गई। इस संबंध में जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय व सीएमओ डॉ.दीपक ओहरी को जांच सौंपी थी।