16वी शताब्दी के सबसे शक्तिशाली शासक थे राणा सांगा : पंडित रवि शर्मा
इतिहास में महानायक तथा महावीर के रूप में जाने जाते हैं राणा सांगा
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा। ब्राह्मण रक्षा दल के मुख्य संरक्षक, सेक्टर 22 आरडब्लूए संरक्षक व समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता पंडित रवि शर्मा ने उदयपुर के सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा तथा राणा रायमल जी के सबसे छोटे पुत्र महावीर राणा सांगा जी की जन्म जयंती पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि 12.04.1482 के दिन राणा सांगा जी का जन्म हुआ था उन्होंने पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में बयाना, भरतपुर, ग्वालियर तक अपना राज्य विस्तार किया। इस प्रकार मुस्लिम सुल्तानों की डेढ़ सौ वर्ष की सत्ता के पश्चात इतने बड़े क्षेत्रफल पर हिंदू साम्राज्य कायम हुआ। इतने बड़े क्षेत्र वाला हिंदू सम्राज्य दक्षिण में विजयनगर सम्राज्य ही था।
दिल्ली सुल्तान इब्राहिम लोदी को खातौली व बाड़ी के युद्ध में 2 बार परास्त किया और गुजरात के सुल्तान को हराया व मेवाड़ की तरफ बढ़ने से रोक दिया। बाबर को खानवा के युद्ध में पूरी तरह से राणा ने परास्त किया और बाबर से बयाना का दुर्ग जीत लिया। इस प्रकार राणा सांगा जी ने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ दी। 16वी शताब्दी के सबसे शक्तिशाली शासक थे। इनके शरीर पर 80 घाव थे। इनको हिंदुपत की उपाधि दी गयी थी। इतिहास में इनकी गिनती महानायक तथा वीर के रूप में की जाती हैं। पंडित रवि शर्मा ने कहा कि राणा रायमल जी की मृत्यु के बाद, सन् 1509 में, राणा सांगा जी मेवाड़ के महाराणा बन गए। राणा सांगा जी ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी राजपूतों को एकजुट किया।
राणा सांगा जी सही मायनों में एक बहादुर योद्धा व शासक थे जो अपनी वीरता और उदारता के लिये प्रसिद्ध हुए। इन्होंने दिल्ली, गुजरात व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की बहादुरी से ऱक्षा की। उस समय के वह सबसे शक्तिशाली हिन्दू राजा थे। फरवरी सन् 1527 में खानवा केे युद्ध से पूर्व बयाना केे युद्ध (भरतपुर/राजस्थान) में राणा सांगा जी ने मुगल सम्राट बाबर की सेना को परास्त कर बयाना का किला जीता। बयाना के युद्ध के पश्चात् 16.03.1527 में खानवा के मैैैदान में राणा साांगा जी घायल हो गए। ऐसी अवस्था में राणा सांगा जी पुनः बसवा आए जहाँ राणा सांगा की 30.01.1528 को मृत्यु हो गई। एक विश्वासघाती के कारण वह बाबर से युद्ध हारे लेकिन उन्होंने अपने शौर्य से दूसरों को प्रेरित किया। राणा सांगा जी के शासनकाल में मेवाड़ अपनी समृद्धि की सर्वोच्च ऊँचाई पर था। '
एक आदर्श राजा की तरह इन्होंने अपने राज्य की रक्षा तथा उन्नति की। राणा सांगा जी अदम्य साहसी थे। एक भुजा, एक आँख, एक टांग खोने व अनगिनत ज़ख्मों के बावजूद उन्होंने अपना महान पराक्रम नहीं खोया, सुलतान मोहम्मद शाह माण्डु के युद्ध में हराने व बन्दी बनाने के बाद उन्हें उनका राज्य पुनः उदारता के साथ सौंप दिया, यह उनकी बहादुरी को दर्शाता है। खानवा की लड़ाई (भरतपुर) में राणा जी को लगभग 80 घाव लगे थे। बाबर भी अपनी आत्मकथा में लिखता है कि "राणा सांगा अपनी वीरता और तलवार के बल पर अत्यधिक शक्तिशाली हो गया है। श्री शर्मा ने कहा कि मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने अपने संस्मरणों में कहा है कि राणा सांगा हिंदुस्तान में सबसे शक्तिशाली शासक थे, जब उन्होंने इस पर आक्रमण किया, और कहा कि "उन्होंने अपनी वीरता और तलवार से अपने वर्तमान उच्च गौरव को प्राप्त किया।"