धीरेन्द्र अवाना
नोएडा।प्रदेश सरकार हर बेटी-हर महिला का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रभावी कदम उठा रही है और ये भी सुनिश्चित करती है कि जो लोग नारी गरिमा और स्वाभिमान को दुष्प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, बेटियों पर बुरी नजर डालेंगे।ऐसे अपराधियों से सरकार पूरी कठोरता से निपटेगी।लेकिन अब उन्हीं की पुलिस पर ही महिला की सुरक्षा और सम्मान को तार तार करने का आरोप लग रहा है।ऐसी यह कोइ पहली घटना नही इससे पहले भी कई बार पुलिस अक्सर सवालों के घेरे में रहती है।
आम जनता के इन 'रक्षकों' पर कभी पीड़ित को प्रताड़ित करने का आरोप लगता है, तो कभी मामले को दबाने को लेकर सवाल उठते हैं।पुलिस खुद कभी शोषक के रूप में नज़र आती है तो कभी आरोपियों की मदद करती।अपराध, विवाद में कानून का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता।ताजा मामला नोएडा के थाना सैक्टर-24 का है जहा 16 वर्षीय छात्रा ने पुलिसकर्मीयों पर बेहरमी से पीटने का आरोप लगाया।पीड़िता से मिली जानकारी के अनुसार कूड़ा फेंकने को लेकर 30 अगस्त को चौड़ा गांव में रहने वाली 16 वर्षीय छात्रा के परिवारवालों से पड़ोसी की नोकझोंक हुई।इसकी शिकायत दोनों पक्षों ने सेक्टर-22 कोतवाली को दी।दूसरे पक्ष ने नाबालिग छात्रा की मां पर चेन चोरी का आरोप लगाया था।
31 अगस्त को दसवीं की छात्रा के पिता को सेक्टर-22 पुलिस चौकी में हिरासत में ले लिया।रात को नाबालिग लड़की मां के साथ पिता को भोजन देने गई, लेकिन उन्हें भोजन नहीं देने दिया गया।तब हमारे द्वारा वहा की विड़ियों बनाई गयी।जब इसकी खबर पुलिस को हुयी तो पुलिस ने मुझे व मेरी मां को मोबाइल छीनकर पीटना शुरु कर दिया।इस मारपीट में मेरी माँ के कपड़े तक फाड़ दिये।हम न्याय की भीख मांगते रहे और वो हमे मारते रहे।मामला को तूल पकड़ता देखकर पुलिस ने हमको छाेड़ा।जिसके बाद मैं तीन दिनो से ईएसआई अस्पताल में रही।जहा डॉक्टरों ने उसके सिर पर पांच टांके लगाये।जब इस सम्बंध में एसीपी रजनीश वर्मा से जानकारी लेनी चाही तो उन्होनें एक मीटिंग में होनी की बात कह कर फोन काट दिया।