धीरेन्द्र अवाना
नोएडा।उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुये राशन घोटाले मामले में अभी जॉच भी पूरी नही हुयी है।लेकिन फिर भी गौतमबुद्ध नगर जिले के हाइटेक शहर नोएडा में राशन डीलर खुले आम राशन की कालाबाजरी करते नजर आते है।कई बार इनकी शिकायत विभाग से करने के बाद भी इनपर कोइ कारवाई नही होती।एक सप्ताह पूर्व इसी तरह का एक मामला नोएडा के झुंडपुरा गांव सैक्टर-11 में देखने को मिला।यहा पर स्थित राशन डीलर राजेन्द्र की दुकान पर राशन कालाबाजरी की कई शिकायते मिली।कई बार विभाग को सूचना देने पर भी कोइ कारवाई नही हुयी।जिसके बाद स्थानीय पत्रकार ने मौके पर पहुच कर कार्ड धारकों की समस्या जाननी चाही।लेकिन जब पत्रकार राशन डीलर की दुकान पर पहुचा तो दुकान का दरवाजा थोड़ा सा खुला था।अन्दर का नजारा देख कर पत्रकार दंग रह गया।अंदर डीलर व उसके साथियों ने सरकारी अनाज को बाजार से लाये हुये कटटों में भर लिया था और बाहर खड़े वाहन में लोड़ करने की तैयारी कर रहे थे।इस पूरे घटनाक्रम को पत्रकार ने अपने कैमरे में रिकोर्ड कर लिया।जिसकी सूचना तुरंत ही आपूर्ति अधिकारी नोएडा को दे दी गयी थी।
लेकिन आज एक सप्ताह बीत दिन बीत जाने के बाद भी डीलर के ऊपर कोइ कारवाई नही हुयी।आपको बता दे कि राजेन्द्र नाम का डीलर किस तरह खुले आम प्रदेश सरकार के आदेशों को ढ़ेगा दिखा रहा है।पहला ये कि ये डीलर राशन की कालाबाजरी नियमित रूप से करता है तथा मिट्टी के तेल से कार्ड धारकों को वचिंत रखता है जबकि प्रदेश सरकार के आदेश है ऐसे डीलर के खिलाफ विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज करायी जाये व उसकी दुकान निरस्त की जाये।जो इस मामले में अभी तक नही हुआ।दूसरा इस डीलर की दुकान पर जो बोर्ड लगा है वो दुकान काफी समय पहले खत्म हो चुकी है।दुकान पर बोर्ड न लगाने पर विभाग की तरह से 5 हजार रूपये का जुर्माना है।जो आज तक नही लिया गया।सोने पे सौहागा ये की जिस व्यक्ति के नाम पर दुकान आवंटित हुयी है वो इस दुकान पर न बैठकर अपने बहनोइ राजाराम को दुकान पर बैठाता है।जबकि नियम ये है कि जिसके नाम दुकान आवंटित है दुकान पर वोही व्यक्ति बैठ सकता है।ऐसा न करने पर दुकान के खिलाफ कारवाई होने का नियम है।आपको बता दे कि राजाराम की राशन की दुकान सदरपुर गांव में थी।राशन की कालाबाजरी करने की वजह से इसके खिलाफ एफआईआर हो गयी थी जिसकी वजह से राजाराम की दुकान कैंसिल हो गयी थी।जल्दी धन कमाने के लालच में राजाराम ने विभाग से सांठगांठ करके दो दुकान आवंटित करा ली।एक अपनी पत्नी ने नाम दूसरी साले के नाम।अब आरोपी दोनों दुकानों
पर राशन की कालाबाजरी करता है पर फिर भी विभाग मौन बैठा हेै।इन सब आदेशों की अवहेलना करने पर भी आरोपी डीलर के खिलाफ कारवाई न होना दर्शाता है कि विभाग अपने निजी स्वार्थों के लिए डीलर को अभयदान दे रहा है।आपको बता दे कि कैसे होता है ये खेल।जब राशन डीलर गौदाम से राशन उठाकर अपनी दुकान में रख लेता है।उसके बाद से ही खेल शुरू होता है।राशन डीलर को करीब 90 प्रतिशत राशन कार्ड धारकों को वितरण करना होता है लेकिन डीलर कालाबाजरी करने के लिए करीब 40 से 50 प्रतिशत ही वितरण करता है।बचे हुये राशन को डीलर आपरेटर की मदद से वितरण के रिकार्ड में दिखा देता है जिसमें विभाग के अधिकारी की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि अधिकारी की आज्ञा के बिना कोइ भी व्यक्ति एनआईसी के डाटा बेस में छेडछाड़ नही कर सकता क्योंकि अधिकारी के पास ही इसका पासवर्ड होता है।इन तीन व्यक्ति की मिलीभगत से ही ये पूरा खेल खेला जाता है।सूत्रों की माने तो इस खेल में 60 अधिकारी का व 40 प्रतिशत हिस्सा राशन डीलर का होता है जिसमें से डीलर आपरेट्रर को भी कुछ हिस्सा देता है।राशन कालाबाजरी के सम्बंध में जब हमने पूर्ति अधिकारी गौतमबुद्ध नगर से पूछा तो उन्होंने कहा कि सबकुछ ओनलाइन है अगर कोइ राशन डीलर कालाबाजरी भी करता भी है तो हमें कोइ फर्क नही पड़ता।हमें सिर्फ अपने अनाज से मतलब है।ये शब्द जिले के पूर्ति अधिकारी के है जो आरोपी को गलत काम करने के खुला निमंत्रण दे रहे है।