Noida Twin Tower Demolish: दिल्ली से सटे नोएडा सेक्टर-93ए स्थित भ्रष्टाचार की इमारत का प्रतीक ट्विन टावर (सियान और एपेक्स) अब इतिहास बन चुका है। 28 अगस्त की दोपहर ठीक 2:30 बजे 3700 किलोग्राम विस्फोट के धमाके के साथ कुछ सेकेंड में ताश के पत्तों की मानिंद ढह गया।
आसपास के लोगों को हुआ कंपन का अहसास
ट्विन टावर गिराने के दौरान यूं तो कुछ खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन नजदीक की एटीएस सोसायटी में कुछ फ्लैट में खिड़कियों के शीशे जरूर टूटे हैं। इसके अलावा, एटीएस की बाउंड्री वॉल को भी हल्का नुकसान पहुंचा है। वहीं, आसपास के लोगों को कंपन का भी अहसास हुआ।
कंपन कम करने लिए लिया टायरों का सहारा
ट्विन टावर ढहाने के दौरान एफडिस कंपनी ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि इस विस्फोट के चलते किसी तरह का आर्थिक नुकसान अथवा जनहानि नहीं हो। एडिफिस कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद कंपन को कम करने के लिए ये टायर लगाए गए थे।
वहीं, एडिफिस कंपनी के सीईओ उत्कर्ष का कहना है कि बिल्डर गिराने की पूरी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने में 7 महीने का समय लगा। इसमें एक महीने की योजना एक 6 महीने की ऑनसाइड तैयारी शामिल है।
बिल्डिंग गिराने से पहले लगाए गए 1000 से अधिक टायर
वाटर फॉल विस्फोट तकनीक के जरिये 100 मीटर से भी अधिक ऊंचे ट्विन टावर गिराए गए। रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (Central Building Research Institute) के विशेषज्ञों की सलाह पर बिल्डिंग के बेसमेंट यानी भूतल पर कुल 1400 टायर लगाए गए थे। सीबीआरआइ ने सलाह दी थी कि जब ट्विन टावर गिरें तो उसके कंपन को कम करने के लिए कोई उपाय किए जाएं। इसके साथ सीबीआरआइ के विशेषज्ञों ने ही टायर लगाने का सुझाव दिया था, जिसके बाद कुल 1000 से अधिक टायर लगाए गए।
ठोस कंक्रीट मिलने के कारण लिया गया फैसला
जानकारी के मुताबिक, टायर पूरे क्षेत्र में नहीं लगाए गए थे, बल्कि एपेक्स और सियान टावरों के ठीक नीचे, जहां पर इसकी जरूरत थी वहीं पर लगाए गए। दरअसल, इमारत के सामने ही ठोस कंक्रीट मिला था। तत्काल कोई उपाय नहीं था, इसिलए 1000 से अधिक ट्रक टायर लगाए गए।
हजारों टन निकला मलबा, नवंबर के अंत तक चलेगा हटाने का काम
ट्विन टावर गिराने के लिए 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। एक अनुमान के मुताबिक ट्विन टॉवर को गिराने से 55 से 85 हजार टन मलबा निकला है, जिसे हटाने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा।
गौरतलब है कि नोएडा के ट्विन टावर को 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे एक बटन दबाकर ध्वस्त कर दिया गया। इसके 9- 12 सेकेंड के भीतर कुतुबमीनार से भी ऊंची इमारत को मलबे के ढेर में तब्लीद हो गई।