यूपी के 60 हजार शिक्षकों के परिवार में खुशी की लहर दौड़ी
A wave of happiness ran in the families of 60 thousand teachers of UP
यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले से पूरे सूबे के शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 60 हजार से अधिक शिक्षकों के परिजनों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। शिक्षकों तथा उनके परिजनों का कहना है कि उन्हें 13 वर्ष के संघर्ष के बाद न्याय मिला है। इस फैसले से तमाम शिक्षकों के परिवारों में खुशी की लहर है।
क्या किया है फैसला
आपको बता दें कि शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया है। यह फैसला उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में रहने वाले अध्यापक विनय कुमार पांडेय तथा रामप्रसाद विश्कर्मा समेत 30 अध्यापकों की याचिका पर सुनाया गया है। यह फैसला उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि वर्ष-2011 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चयनित अध्यापकों की तुरंत कांउसलिंग कराकर उन्हें उनके उचित पद व सम्मान सौंपे जाएं।
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि 22 से 25 जनवरी के बीच सभी उत्तर प्रदेश के जिलों में विज्ञापन प्रकाशित कराकर वर्ष-2011 में चयनित अध्यापकों को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाए। आदेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि फरवरी के पहले सप्ताह में ही अध्यापकों की कांउसलिंग का काम पूरा कर लिया जाए।
हाईकोर्ट का है यह महत्वपूर्ण फैसला
आपको बता दें कि इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट का बेहद महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है। इस फैसले में न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने विनय कुमार पांडेय, राम प्रसाद विश्वकर्मा समेत कुल 30 याचिकाओं को एकसाथ निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है। याची की दलीलों के मुताबिक, उनका चयन 2011 में हो चुका है, लेकिन बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इन्हें नियुक्ति पत्र आवंटित नहीं किया गया। याचियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां से मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगा था। परिषद ने कहा कि याचीगण काउंसलिंग में उपस्थित को नहीं हुए और इनके कटऑफ अंक भी ऊपर नहीं आए। याचियों की ओर से पेश अधिवक्ता आरके ओझा, अशोक खरे, अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, इंद्रेश दुबे की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में परिषद ने नियुक्ति योग्य चयनित शिक्षकों की जो सूची प्रस्तुत की थी, उसमें कटऑफ अंक की कोई शर्त नहीं थी। बेसिक शिक्षा परिषद इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दे सकी। हाई कार्ट के इस फैसले कई शिक्षकों तथा उनके परिजनों में हर्ष की लहर दौड़ गई है।
इन्हें भी पढ़ें
पूरा वीडियो भी देखें