लॉकडाउन में बैंक से मिले ब्याज से कर सकते है परेशान हाल लोगों की मदद : दारुल उलूम देवबन्द

वह शरीयत की नजर से हराम व नाजायज है। सूद की इस रकम को व्यक्तिगत रूप में या फिर मस्जिद के लिए इस्तेमाल करना दुरुस्त नहीं है।

Update: 2020-05-05 02:10 GMT

देवबन्द। कोरोना संकटकाल में दारुल उलूम देवबन्द ने ताजा और अहम फतवा दिया है। फतवे में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान बैंक से आपकी जमा पर मिले ब्याज से तंगहाल और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है।

दारुल उलूम देवबन्द से कर्नाटक के एक शख्स ने सवाल पूछा कि हमारी मस्जिद के बैंक एकाउंट में जमा रकम पर इंटरेस्ट की काफी रकम बनती है। मौजूदा हालात में जब खाने कमाने वाला तबका बेहद परेशान और तंगहाल बना हुआ है तो ऐसे में क्या बैंक के ब्याज से मोहताज और परेशानहाल लोगों की मदद की जा सकती है ? 

जवाब में दारुल उलूम देवबन्द के मुफ्तियों की खंडपीठ ने दिए अपने फतवे में कहा कि बैंक में जमा रकम पर इंटरेस्ट के नाम से जो सूद दिया जाता है, वह शरीयत की नजर से हराम व नाजायज है। सूद की इस रकम को व्यक्तिगत रूप में या फिर मस्जिद के लिए इस्तेमाल करना दुरुस्त नहीं है।

अलबत्ता बिना सवाब की नीयत के लॉकडाउन के दौरान इस सूदी रकम को मोहताज, तंगहाल और परेशान हाल लोगों को दी जा सकती है या इस रकम से उनको राशन खरीद कर देना चाहते है तो इसमें शरअन कोई हर्ज नहीं है,इससे दो फायदे हो जाएंगे एक तो आप ब्याज लेने से बच जाएंगे और दूसरे किसी जरूरतमंद की ज़रूरत भी पूरी हो जाएगी।

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