माजिद अली खां
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिषद चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सबसे बड़ा चौंकाने वाला उलटफेर सहारनपुर जिले में हुआ है जहां बहुत मजबूत कयास लगाए जा रहे थे की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर सपाई नेता इमरान मसूद को राज्यसभा ना दिए जाने के बाद कम से कम उत्तर प्रदेश विधान परिषद में तो समाजवादी पार्टी की तरफ से भेजा जा सकता है।
लेकिन पार्टी ने जो नाम घोषित किए हैं उनमें सहारनपुर के एक युवा सपा नेता शाहनवाज खां जिनके पिता सरफराज राज्य में मंत्री रह चुके हैं को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। शाहनवाज खां को एमएलसी बनाए जाने के पीछे आजम खां का भारी दबाव बताया जा रहा है। सरफराज खां को आजम खां का बेहद करीबी नेता माना जाता है और जब आजम खान ने समाजवादी पार्टी से अलैहिदगी इख्तियार की थी तब भी सरफराज खां आजम खां के साथ ही रहे थे।
सहारनपुर जिले में इमरान मसूद समर्थकों में मायूसी फैल गई है और उनके समर्थक अखिलेश यादव पर इमरान मसूद को धोखा देने के आरोप लगा रहे हैं। वैसे देखा जाए तो शाहनवाज खां को एमएलसी बनाए जाना न्यायोचित है क्योंकि सहारनपुर जिले में सरफराज खां एक ऐसे सपा नेता रहे हैं जिन्होंने बहुत बुरे समय में भी समाजवादी पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन धर्म निभाते हुए शाहनवाज खां ने कांग्रेस प्रत्याशी मसूद अख्तर के लिए भरपूर मेहनत की थी जिसकी बदौलत मसूद अख्तर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत गए थे।
इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन धर्म को निभाते हुए शाहनवाज खां ने बसपा सांसद प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान के लिए भी बहुत मेहनत की और मतगणना स्थल पर भी बड़े साहसिक अंदाज में अपना परिचय कराया जिसकी बदौलत गठबंधन के प्रत्याशी विजयी रहे थे।
शाहनवाज़ खां समर्थकों का कहना है कि सरफराज खां ने जिला सहारनपुर में पूरा जीवन समाजवादी पार्टी की सेवा में लगा दिया है तो फिर उन्हें इसका ईनाम क्यों ना मिले। हालांकि इस बात का जवाब इमरान मसूद समर्थक नहीं दे सकते क्योंकि इमरान मसूद सदा पार्टी बदलते रहे हैं । अब देखना यह है कि समाजवादी पार्टी के यह युवा विधायक जिले की राजनीति में अपनी कैसी छाप छोड़ पाते हैं