वीरेंद्र सेंगर
जिन पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं. उनमें पंजाब और उत्तराखण्ड ही ऐसे हैं, जहां कॉंग्रेस के जीतने के पक्के आसार हैं. बशर्ते पार्टी का आला कमान कोई बेवकूफ़ी ना कर बैठे. पंजाब में तो अमरेंद्र सिंह को हटाने का साहसिक फैसला राहुल गांधी ने सही किया था. अहंकारी अमरेंद्र के नेतृत्व में चुनाव होता , तो पार्टी हार जाती. वहां दलित नेता को लाकर पार्टी ने जिताऊ दांव चला है. ऐसे में पार्टी सबसे आगे है.
लेकिन उत्तराखंड में आला कमान ने अपनी चुप्पी से पूर्व सीएम हरीश रावत को आहत कर दिया है. उन्हें सीएम चेहरा घोषित करने में हिचकिचाहट दिखाई है. ये रावत विरोधी खेमे के दबाव में हो रहा होगा.
इससे रावत काफी आहत हैं. वे भावुक किस्म के इंसान है. उनकी निजी इमेज अपेक्षा krat दूसरों से बेहतर है. मैं निजी तौर पर उन्हें दो दशकों से जानता हूँ. कह सकता हूँ कि वे कॉंग्रेस के हीरा हैं. विनम्र स्वभाव के हरदा गरीब जनता में बहुत लोकप्रिय नेता हैं. अगर राजनीति के हमाम में सब नंगे भी हैं, तो मैं दावे से कह सकता हूं कि हरदा के बदन में सब नंगों के बीच लंगोट जरूर मिल जाएगा.उनके सामने बीजेपी की पूरी फौज बौनी मानी जाती है. कॉंग्रेस के चुनावी अभियान के दुल्हा वही हैं .
अगर वे रूठ गए तो समझ लीजिए पार्टी हार को आमंत्रित कर रही है. मैं लंबे समय से उत्तराखंड में हूँ. रावत ने कल जिस तरह का दुख जाहिर किया है , उससे बीजेपी के मायूस खेमे में खुशी है. कॉंग्रेस में मायूसी. यदि राहुल और प्रियंका ने दो चार दिन के अंदर मजबूत फैसला नहीं किया , तो समझो भैंस गई कीचड़ में!हरीश रावत ,यहां हरदा के नाम से जाने जाते हैं. हरदा की नाराजगी गेम बदल सकती है!सुन रहे हो! कॉंग्रेस के नौसिखिया तारणहार!