बाबा रामदेव की कोरोनिल का हरिद्वार के दूसरे आयुर्वेद संस्थान ने किया बड़ा खुलासा, बाबा के उड़े होश
आयुर्वेदिक गुणों के सिद्धान्तानुसार प्रत्येक व्यक्ति एवम बीमारी के अनुसार अलग अलग दवाइयां दी जाती हैं।
हरिद्वार। जेपी हेल्थ रिसर्च के निदेशक डॉ विजय वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के इस निराशापूर्ण ,भययुक्त ,युक्तिहीन वातावरण मे योगगुरु बाबा रामदेव के उदघोष से आशा ,स्वास्थ्य और भविष्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का उदय हुआ।
परन्तु जल्दीबाजी में वैज्ञानिक कसौटी को भूलकर,अनदेखी करके पतंजलि के कर्मठ और ज्ञानवान वैद्य भारतीय प्रजातन्त्र के नियमो का पालन भी नही कर पाए। उन्होंने कहा आयुर्वेद में कभी भी किसी भी तरह से कोरोना वायरस की दवाई नही बनाई जा सकती है। आयुर्वेद में कॅरोना नाम की किसी भी बीमारी का सन्दर्भ नही है। आयुर्वेद में जब बीमारी का नाम ही नही है तो दवाई कैसे बन गई।
आयुर्वेद में ज्वर की एलोपैथी से अलग परिभाषा है ,जैसे पित्त ज्वर,वात पित्त ज्वर ,वात कफ ज्वर और इसी प्रकार। आयुर्वेद एक सिद्धान्त के अनुसार कार्य करता है , जैसे एलोपैथी का सिद्धांत है। आयुर्वेदिक गुणों के सिद्धान्तानुसार प्रत्येक व्यक्ति एवम बीमारी के अनुसार अलग अलग दवाइयां दी जाती हैं।
आयुर्वेद में एक दवाई या कुछ दवाएं सब के लिये एक रिजल्ट नही देती जैसे एलोपैथी में एंटीबायोटिक। पतंजलि में आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज होते हुए भी अभी तक कॅरोना का आयुर्वेदिक नाम नही खोजा गया है। कोरोना एक वायरल इंफेक्शन है जिसमे अधिकांश ठीक होते हैं तो मृत्यु दर भी है।
जब रक्त में ऑक्सिजन की कमी होती है SPO2 90 से नीचे हो जाती है तो ऑक्सीजन एवं फिर जरूरत पड़ने पर वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है जो आयुर्वेद में सम्भव नही है। उन्होंने कहा पतंजलि के प्राचीनकाल वैज्ञानिको ने आधुनिक विज्ञान का सहारा लेकर रिसर्च कर ली और दवाई की उदघोषणा कर दी इससे पता चलता है कि पतंजलि के वैज्ञानिक आयुर्वेद के सिद्धांत को नही जानते है ,और आधुनिक एलोपथिक विज्ञान को कैसे जानेंगे जिसकी उन्होंने सम्यक शिक्षा नही ली।
रिसर्च के अधकचरे ज्ञान से एलोपथिक के कंधे पर चढ़कर आयुर्वेद को प्रतिष्ठित करने के प्रयास से आयुर्वेद, देश एवं संस्कृति का नुकसान ,अपमान ही हो रहा है, प्रतिष्ठा नही। डॉ विजय वर्मा ने कहा मेरा पतंजलि एवं आयुष मिनिस्ट्री के श्री राजेश कटोच से आग्रह हैं कि तुरन्त कोरोना इंफेक्शन के आयुर्वेदिक नाम की घोषणा करे तदुपरांत आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा की कोई दवाई या चिकित्सा पद्धति का नोटिफिकेशन करे।
उधर पतंजली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल में हमने औषधियां दीं, जो परिणाम आया हमने उसे देशवासियों के सामने रखने का प्रयास किया। जिस को विज्ञापन कहा गया वो विज्ञापन नहीं बल्कि हमने क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के नतीजे को लोगों के सामने रखने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था