अभी भारत में जिस तरह बेटी बचाओ और बेटी पढाओ नारे को तार तार कर दिया है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दो घटना समाने आई है, उनसे समूचा जन मानस अंदर तक हिल गया है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में जिंदा जलाई गई छात्रा सात दिन तक मौत से जूझने के बाद जिंदगी की जंग हार गई। छात्रा ने सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार को दम तोड़ दिया। मृतक के मौसा ने बताया कि मौत करीब 11 बजे हुई। इस मौत से छात्रा के परिवार का रो रोकर बुरा हाल था।
बता दें कि गत रविवार को छात्रा परीक्षा देकर लौट रही थी, उसी समय रास्ते में गहड़ गांव का मनोज सिंह उर्फ बंटी उसका पीछा करने लगा। कुछ देर बाद एक सुनसान जगह कच्चे रास्ते पर उसने छात्रा को जबरन रोककर उससे जबरदस्ती करनी शुरू कर दी।छात्रा के विरोध करने पर आरोपी ने उसके ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी और मौके से फरार हो गया। कुछ देर बाद मौके से गुजर रहे एक ग्रामीण ने छात्रा को जली हुई हालत में रास्ते में पड़ा देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी।
जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और 108 एंबुलेंस की मदद से छात्रा को जिला अस्पताल पौड़ी लाई। यहां डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद छात्रा को मेडिकल कॉलेज श्रीनगर रेफर कर दिया। इसके बाद छात्रा को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया लेकिन सुधार न होने पर उसे दिल्ली सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था। जहां आज छात्रा ने दम तोड़ दिया। इस तरीके दो घटनाओं ने बीजेपी सरकारों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है।