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कवि गरीबी से तंग आकर डाकू बन गया और डकैती करने बैंक में गया, बैंक में जाने के बाद कवि ने कहा- 'तक़दीर में जो है वही मिलेगा, हैंड्सअप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा...
कवि गरीबी से तंग आकर डाकू बन गया और डकैती करने बैंक में गया
बैंक में जाने के बाद कवि ने कहा- 'तक़दीर में जो है वही मिलेगा, हैंड्सअप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा'
फिर कवि ने कैशियर से कहा- 'अपने कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल लो, जो कुछ भी है तुम्हारे पास जल्दी से इस बैग में डाल दो'
उसने कहा- 'बहुत कोशिश करता हूँ तेरी याद भुलाने की, ख़बरदार कोई कोशिश न करे पुलिस को बुलाने की'
फिर उसने जाते वक्त कहा- 'भुला दे मुझे क्या जाता है तेरा, मैं गोली मर दूंगा जो किसी ने पीछा किया मेरा'
Alok Mishra
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