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बिहार : लूट-खसोट ने खस्ताहाल कर दिया राजेन्द्र पुल को, कई जगह टूटने से खुली पोल
बेगूसराय (शिवनंद गिरि) : उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने वाली ऐतिहासिक राजेंद्र सेतु पुल के क्षतिग्रस्त होने से कोहराम मच गया है ।हाथीदह से आने के क्रम में पुल पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं ।लोगों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही राजेंद्र पुल का पूरी तरह से निर्माण नए सिरे से किया गया था बावजूद इसके पुल में छेद आना या क्षतिग्रस्त होना कहीं ना कहीं व्यापक लूट खसोट का परिचायक है। इस बारे में हाथीदह थाना व मोकामा सीओ ने पुल का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया है।
हाजीपुर ब्रिज विभाग के उप मुख्य अभियंता शमीम अहमद का कहना है कि राजेंद्र पुल पुराना ब्रिज है लेकिन इस पर क्षमता से कई गुना अधिक वजन वाले वाहनों का आवागमन धड़ल्ले से जारी है, एनएचएआई के अधिकारी पुल का न तो समय पर मेंटेनेंस करते हैं और न ही निरीक्षण ।भारी वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए दोनों और ब्रिज बैन लगाने के लिए कई वर्ष पूर्व कहा गया था लेकिन अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया जा सका है । उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह भारी वाहनों का आवागमन होता रहा तो राजेंद्र पुल चलने लायक भी नहीं रहेगा।
गौरतलब है कि राजेन्द्र सेतु मोकामा पुल - लगभग दो किलोमीटर लंबा सड़क-सह-रेल पुल का उद्घाटन 1 9 5 9 में भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने किया था।पुल का निर्माण ब्राथवाइट, बर्न एंड जेसॉप कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया था। यह लगभग 2 किलोमीटर (1.2 मील) लंबा है और इसमें दो लेन वाली सड़क और एक लाइन रेलवे ट्रैक है।
हालांकि राजेंद्र सेतु के समांनान्तर एक नए रेलवे पुल का निर्माण के लिए 12 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास किया था। नया 1.9 किमी रेलवे पुल फरवरी 2021 तक परिचालित होने वाला है.इसीतरह एक और पुल बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
युवा एक्टिविस्ट राजेंद्र पुल पर बेरोकटोक ओवलोडेड वाहनों का परिचालन होने की वजह से आज पुल मरणासन्न स्थिति में आ गया है!मिथिला और मगध को एक सूत्र में पिड़ोने वाला राजेन्द्र पुल आज चार-चार आंसू बहा रहा है!प्रशासन अवैध -वसूली करके ओवलोडेड वाहनों का परिचालन करवा रहा है!हाथिदह से लेकर जीरो माईल तक में करीब दस जगह प्रशासन के द्वारा पैसा वसूली किया जाता है!बेगूसराय प्रशासन के द्वारा जीरो माईल में संयुक्त जांच केन्द्र के नाम पर धड़ल्ले से अवैध उगाही किया जाता है!यही कारण है की आज उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले राजेन्द्र पुल का अस्तित्व खतरे में आ गया है!अगर प्रशासन अब भी नहीं चेता या जन प्रतिनिधियों ने इस दिशा में पहल नहीं किया तो एक बहुत बड़ा हादसा हो सकता है।
इसीतरह छात्र नेता रामकृष्ण का मानना है कि राजेन्द्र पुल अधिकारियों ,ठीकेदारों और पुलिस के जवानों के लिए दुधारू गाय हो गई है और जिसको जहाँ मौका मिलता है वह इसके नाम पर दुहते रहता है। आए दिन अखबारों में पैसे के बल पर ओवरलोडेड वाहनों के परिचालन संबंधित खबरों के प्रकाशन के बाद भी न तो जिला प्रशासन इस संबंध में कोई कार्रवाई की और न ही जनप्रतिनिधियों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले हैं मोकामा राजेंद्र सेतु पर उस समय अफरा तफरी मच गई जब सेतु के टूटे सलेस से गिरकर मां-बेटे की मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच मां-बेटे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। उक्त दोनों खगड़िया जिले के मथुरापुर और चारतर घाट के निवासी बताये जाते है। लोगों का कहना है कि कुछ वर्ष पूर्व है इस पुल का मरम्मत किया गया था लेकिन लूट खसोट के कारण यह पुल आज कई जगह टूट चुकी है ।
इसीतरह 2009 में भी पुल की मरम्मत की गई थी जिसके कारण लोगों में काफी आने जाने में परेशानी हुई थी। पुल मरम्मती के बाद भारी वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए दोनों साइड संबंधित थाना की पुलिस की तैनाती भी की गई थी लेकिन यह पुलिसकर्मी पैसा लेकर गाड़ियों को आवाजाही पर कराते रहे जिससे क्षतिग्रस्त होता रहा लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया ।आज से कुछ वर्ष पूर्व पुलिसकर्मियों के इस गोरखधंधे को बेगूसराय के ईटीवी के पत्रकार ने जब दिखाया तब तत्कालीन एसपी में चकिया थाना के 4 जवानों को निलंबित कर दिया था।
उसके बाद कुछ दिनों बाद जब पुल का निर्माण हुआ तो भारी वाहनों का आवाजाही रोकने के लिए रोकने के लिए जीरो माइल के पास एक पोस्ट का निर्माण किया गया है जो हाथी का दांत ही साबित हो रहा है।यह पोस्ट पुलिस के लिए कमाई का जरिया बन गया है। यहां एक सिंडिकेट के तहत पैसों के बल पर भारी वाहनों का आवाजाही जारी है ।अब तो देखना यह है किया पुल मरम्मत के बाद क्या चल पाती है या फिर नए सिरे से निर्माण कराना पड़ेगा। जब पुल का निर्माण कार्य चल रहा तो काम में देरी पर बेगूसराय के वकील गोपाल कुमार ,पूर्व सांसद शत्रुध्न सिंह तथा उच्च न्यायालय के आशुतोष पांडेय ने हाईकोर्ट र्में अलग अलग जनहित याचिका दायर कर पुल निर्माण में देरी पर नाराजगी और लोगों को हो रही परेशानी की और ध्यान दिलाया था। कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को फटकार लगाई और जल्द से जल्द पुल का काम कंप्लीट करने का आदेश दिया था जिसके आलोक में काम में तेजी लाई गई और पुल का निर्माण समय पर हो पाई।
बहरहाल,हमाम में नंगे सिस्टम के अधिकारियों का ध्यान आखिरकार कब जाता है और इसके कायाकल्प के दिशा में क्या क्या कदम उठाते है ये देखना दिलचस्प होगा।