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आज के आधुनिक दौर में भी लोग अंधविश्वास (Blind Faith) के जाल में इस कदर फंसे हुए हैं कि उन्हें अंदाजा ही नहीं है कि झाड़-फूंक, जादू टोना और अंधविश्वास में पढ़कर वह अपनी जान भी गंवा सकते हैं। ऐसा ही एक अंधविश्वास का मामला बिहार (Bihar) से सामने आया है। बता दें कि बिहार (Bihar) के नालंदा (Nalanda) में नगरनौसा थाना क्षेत्र के कोरारी गांव में सर्पदंश के कारण एक अधेड़ व्यक्ति की मौत हो गई। अधेड़ की जान सर्पदंश ने नहीं बल्कि उसके परिजनों के अंधविश्वास ने ली है। बता दें कि सर्पदंश के बाद उसके परिजन उसे अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़-फूंक कराने के लिए ले गए और झाड़-फूंक से इलाज करने के कारण अधेड़ व्यक्ति की मृत्यु हो गई।
मृतक स्वर्गीय निरंजन रावत के 42 वर्षीय पुत्र संजीव कुमार है। इस घटना के संबंध में परिजनों का कहना है कि निरंजन रावत बीते सोमवार के दिन खेत पटवन को लेकर खलिहान में गए हुए थे, तभी एक जहरीला सांप उनके पैर पर लटक गया और डंस लिया। जिसके बाद भागा- भागा अधेड़ घर पहुंचा। जख्मी हालत में अधेड़ को परिजन झाड़-फूंक कराने के लिए भगत के पास ले गए। जहां अधेड़ की स्थिति और बिगड़ने लगी। जिसके बाद हिलसा अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां सोमवार देर रात इलाज के दौरान अधेड़ की मौत हो गई। घर में एक लोटे कमाऊ सदस्य की मौत के बाद से परिजनों में कोहराम मच गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मृतक मजदूरी का काम करता था और बचे समय में खेती-बाड़ी भी करता था इसी वर्ष बेटी की शादी होने वाली थी लेकिन पैसे की तंगहाली के कारण समय 5 महीने बढ़ा दिया गया था। मृतक अपने पीछे 4 बेटियां और एक बेटे को छोड़ कर गया है। अब उनके लालन-पालन से लेकर शादी-ब्याह तक की चिंता मृतक के परिजनों को सता रही हैं।
बता दें कि मौत की सूचना पर अस्पताल पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है। नगरनौसा थाना अध्यक्ष नारद मुनि का कहना है कि सर्पदंश से अधेड़ की मौत हो गई है। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।