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बिहार में कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए राहत की खबर सामने आई है| यहां अब कारखाने में काम करने वाले कामगारों को घर भी मिलेगा। विशेषकर नियोक्ता बगान में रहने वाले श्रमिकों को उनके परिवार के साथ घर की सुविधा मिलेगी। श्रम संसाधन विभाग ने यह प्रावधान कामगारों के लिए किया है। विभाग ने कहा है कि प्रत्येक नियोक्ता बगान में रहने वाले श्रमिकों और उनके परिजनों को यथासंभव काम के स्थान के निकट ही आवास की सुविधा प्रदान करेगा। कारखाना संचालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कारखाना और कर्मचारियों के आवास के बीच अधिक दूरी न हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर कोई महिला कामगार होंगी तो उनके लिए संचालकों को अलग व सुरक्षित कमरा देना होगा। कमरा इस तरह होगा कि प्रत्येक कमरे में ताजी हवा का आना-जाना हो। कमरा अंधेरानुमा नहीं होना चाहिए। प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। कमरा या अन्य उपयुक्त वैकल्पिक आवास का आकार इस प्रकार होगा कि रसोई और शौचालय के क्षेत्र को छोड़कर कम से कम 10 वर्गमीटर का फर्श प्रत्येक व्यक्ति को मिल सके। कमरे का निर्माण इस तरह करना होगा कि गर्मी, हवा व बारिश से कामगारों को पर्याप्त सुरक्षा हो और इसकी सतह चिकनी, कठोर और अभेद्य हो।
बता दें कि कमरा बनाने के लिए चयनित की जाने वाली जमीन को सूखा हुआ भूमि होना जरूरी है। आवास के साथ ही कामगारों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराना होगा। जिस क्षेत्र में आवास की व्यवस्था है, उसके आसपास पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था की जाएगी। नियोक्ता उस क्षेत्र में अच्छी सड़कें और रास्ता बनाए रखेगा, जहां आवास अवस्थित है। सीवर व नालियों की भी बेहतर व्यवस्था करनी होगी। आवासीय परिसर को साफ-सुथरा रखने की जिम्मेवारी कारखाना संचालकों की ही रहेगी। जलजमाव की समस्या न हो, इसका ध्यान रखना होगा।
बागान के सभी नियोक्ता जिसमें 50 से अधिक श्रमिक काम कर रहे हों, भले ही वह ठेका पर ही क्यों न हों, और अगर वे 12 महीने से अधिक समय से काम कर रहे हों तो वहां शिशु गृह की भी सुविधा प्रदान की जाएगी। बताया गया कि महिला कामगारों को बच्चों के साथ काम करने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए यह व्यवस्था की जाएगी। विभाग की ओर से समय-समय पर इसकी जांच की जाएगी और ऐसा नहीं होने पर कारखाना संचालकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।