बिहार

ईमानदारी से खुश होकर इंदिरा ने उन्हें 20 एकड़ दी थी जमीन, 40 साल तक इंतजार कर चल बसे खेदारू, पत्नी ने कहा-पति के त ईमानदारी के भूत सवार रहे, जाके इंदिरा जी के गगरी दे अयलन

ईमानदारी से खुश होकर इंदिरा ने उन्हें 20 एकड़ दी थी जमीन, 40 साल तक इंतजार कर चल बसे खेदारू, पत्नी ने कहा-पति के त ईमानदारी के भूत सवार रहे, जाके इंदिरा जी के गगरी दे अयलन
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गोड़ियापट्टी के नारायणपुर घाट रोड (तब भट्टी रोड) में छोटी सी परचून की दुकान चलाने वाले खेदारु की ईमानदारी की कहानी है क्योंकि उनके ईमानदारी के एवज में सोने से भरी गगरी दने पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बीस एकड़ जमीन इनाम के तौर पर दिया था लेकिन अब तक जमीन की आस लगाये 6 सितबंर को मृत्यु हो गई।

बतादें कि तब तीस साल के नौजवान रहे खेदारू की ईमानदारी मिसाल बन गई थी ये बात 1980-81 की है। जब खेदारु के दुकान के पीछे खंडहर में दस किलो सोने से भरी गगरी (घड़ा) मिली। खेदारू ने प्रशासन को सूचित किया और शर्त रखी कि वे इसे अपने हाथों से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपना चाहते हैं। उनकी जिद पर प्रशासन ने व्यवस्था की और उन्होंने दिल्ली जाकर गगरी प्रधानमंत्री को सौंपी।

खेदारू की ईमानदारी से खुश होकर इंदिरा ने उन्हें 20 एकड़ जमीन का पट्टा बतौर इनाम दिया। खेदारू कई साल तक दफ्तरों-अफसरों के चक्कर काटते रहे लेकिन उन्हें जमीन नहीं मिल पाई। आखरिकार उन्होंने उम्मीद छोड़ प्रयास बंद कर दिए। चालीस साल से मुफलिसी में जिंदगी बिताते रहे खेदारू मियां का सोमवार को इंतकाल हो गया।

परिजनों का कहना है कि खेदारू को मदनपुर व नौरंगिया में 20 एकड़ जमीन का पट्टा मिला था। तब उस जमीन पर अतिक्रमण था। पट्टा लेकर वह डीएम से सीओ तक दौड़ता रहा। पहले अतिक्रमण और बाद में जंगल की जमीन बताकर बैरंग लौटा दिया गया।

पड़ोसी किसान और जदयू किसान प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष दयाशंकर सिंह बताते हैं कि घटना 1981-82 की है। खेदारू भट्टी रोड में परचून की दुकान चलाता था। दुकान के पीछे खंडहरनुमा मकान से उसे गगरी मिली थी।

खेदारू के पड़ोसी व मित्र सरदार मियां ने बताया कि तत्कालीन डीएसपी डीएन कुमार ने सोना समेत गगरी प्रशासन को सौंपने को कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया। खेदारू को दिल्ली ले जाया गया। इंदिरा जी के साथ उसकी तस्वीर भी हमलोगों ने देखी थी। रख-रखाव के अभाव में तस्वीर खराब हो गई।

खेदारू की पत्नी हदीसन खातून कहती हं, गगरा मिलल रहे। हमनी के कहनी सन कि केहू नईखे जानत। एकरा रख लेल जाओ। बाकि हमार पति के त ईमानदारी के भूत सवार रहे। जाके इंदिरा जी के गगरी दे अयलन। इनाम में जमीन मिलल त ओकर कौनो थाहे-पता न चलल। मजूरी करके केहू तरह बेटा-बेटी के पाललन। जमीन के पट्टा मिलल रहे त कहलन कि बेटा-बेटी के पढ़ा के अफसर बनाएम। बाकि सब मजदूर बन के रह गइलन। खेदारू का पुत्र फिरो गनौली में रहकर मिस्त्री का काम करता है। बेटी सलीमुन और जैबून की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है।

मामला बहुत पुराना है। सीओ से जांच कराई जाएगी। वाकई इनाम में 20 एकड़ जमीन मिली होगी तो इसे परिजनों को दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

अभिषेक श्रीवास्तव

अभिषेक श्रीवास्तव

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