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बिहार RJD के प्रदेश अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा, जगदानंद सिंह को कमान सौंपकर लालू ने चला था बड़ा दांव
पटना। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उन्होंने पार्टी पद से इस्तीफे की पेशकश की है हालांकि, अब तक प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे को पार्टी ने मंजूर नहीं किया गया है. सूत्रों की मानें तो लालू यादव ने अभी उन्हें अपने पद पर बने रहने को कहा है। दो साल पहले पार्टी के कई नेताओं के विरोध के बावजूद लालू यादव ने जगदानंद सिंह को राजद की कमान सौंपी थी।
पिछले कुछ समय से जगदानंद सिंह और लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के बीच तनातनी की खबरें आती रहती थीं। अभी राजद के स्थापना दिवस समारोह में भी तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान मंच से ही कहा था कि " हम जब बोलते हैं, तो कुछ लोग हंसते हैं, मजाक उड़ाते हैं. लेकिन कौन 'भौंक' रहा उसपर हम ध्यान नहीं देते हैं. मेरा कांसेप्ट क्लियर है. मैं किसी से नहीं डरता. सब कुछ मुंह पर बोलता हूं. केवल भगवान से डरता हूं." उन्होंने कहा था कि आज भी संगठन में कई लोग ऐसे हैं जो संगठन को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते.
हसनपुर विधायक ने कहा था कि कुछ लोग बेवजह पार्टी कार्यालय में बैठे रहते हैं, जनता के बीच नहीं जाते. छात्र नौजवानों का इस्तेमाल करना जानते हैं बस. लेकिन वो देश का भविष्य हैं. उनका इस्तेमाल बंद कीजिए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि बहुत सारे लोग मुझे पीछे खींचने का काम करते हैं, डरते हैं कि कहीं पिक्चर का हीरो यही नहीं हो जाए.
बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का इस्तीफा अभी पार्टी अध्यक्ष लालू यादव ने मंजूर नहीं किया है। उन्होंने उसने पद पर बने रहने को कहा है। दरअसल इस्तीफे के लिए उन्होंने भले स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इससे संदेश यही गया है कि नाराजगी में उन्होंने यह कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि लालू यादव इस पूरे मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने पुरानी साथी जगदानंद सिंह से फिलहाल पद पर बने रहने को कहा है।
बिहार की सियासत को अच्छे से समझने वाले बताते हैं कि जगदानंद सिंह को पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान सौंपकर लालू यादव ने बड़ा दांव चला था। जिस वक्त जगदानंद सिंह प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे उससे कुछ समय पहले ही सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध करने के चलते एक बड़े वर्ग में राजद को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद एक भी सीट नहीं जीत सकी। रघुवंश प्रसाद सिंह समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए थे। ऐसे में जगदानंद सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर लालू यादव ने बड़ा दांव चला था। पार्टी सवर्णों में यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि राजद अगड़ी जाति के खिलाफ है।