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मुंगेर किला का DM ने किया निरीक्षण, जानें क्या हैं इसका इतिहास
मुंगेर। जिला पदाधिकारी श्री नवीन कुमार पर्यटन विभाग से आये टेकनीकल अभियंता के साथ मुंगेर के ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात किला के तीनों द्वार का स्थलीय निरीक्षण किया। पूर्वी किला से पैदल मार्च करते हुए किला के तीनों द्वार तथा किला बांध मार्ग का निरीक्षण किया। मार्ग पर कई अस्थायी अतिक्रमण और भूमिहीनों द्वारा वास किया गया है।
अंचलाधिकारी सदर को निदेश दिया कि बांध पर आवासित लोगों का सर्वेक्षण कर ले तथा उन्हें उपयुक्त जमीन चिह्नित कर नियमानुसार स्थानांतरित करने की कार्रवाई करे। बुडको अभियंता सहित उनके टीम को निदेश दिया गया कि इन क्षेत्रों में साफ सफाई सुनिश्चित करे। मौके पर उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी सदर, बुडको के कार्यपालक अभियंता उपस्थित थे।
बतादें कि मुंगेर किला का इतिहास बंगाल के नवाब मीर कासिम से जुड़ा हुआ है। बंगाल पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया, तो मीर कासिम ने मुंगेर में गंगा तट पर किला का निर्माण कराया और मुंगेर को ही अपनी राजधानी बनाया। किला के बाहर चारों तरफ से करीब 30 फीट गहरा गढ्डा है। इस गड्डे का निर्माण मीर कासिम ने अंग्रेजों के आक्रमण से बचने के लिए कराया था।
किला परिसर में ही मीर कासिम का आवास था। मीर कासिम ने किला परिसर में ही सुरंग का निर्माण भी कराया। सुरंग का एक सिरा गंगा घाट पर निकलता था। जिससे नबाव मीर कासिम की बेगम और अन्य महिलाएं गंगा घाट तक पहुंचती थी। वहीं, सुरंग का दूसरा सिरा पीर नफा पहाड़ की ओर निकलता था। लेकिन, सुरंग अब मिट्टी से भर गया है। किला में तीन द्वार है मुख्य द्वार, उतरी और दक्षिणी द्वार। तीनों द्वार पर मीर कासिम के सैनिक तैनात रहते थे। 1885 में यह किला हेनरी डेरोजियों के कब्जे में आ गया। जिसका उन्होंने जीर्णोद्धार भी कराया था और उनके सहयोग से किला द्वार पर बड़ी घड़ी लगाई गई।