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कौन थे डॉ. गौरीशंकर राजहंस? जिनके निधन पर सीएम नीतीश ने व्यक्त की गहरी शोक संवेदना
पटना।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झंझारपुर के पूर्व सांसद, पूर्व राजनयिक, पत्रकार एवं लेखक डॉ० गौरीशंकर राजहंस के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि झंझारपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व सांसद डॉ० गौरीशंकर राजहंस लाओस एवं कम्बोडिया के भारतीय राजदूत भी रहे थे। वे हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार, स्तम्भकार एवं लेखक भी थे। डॉ० गौरीशंकर राजहंस जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुयी है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
भागलपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डा.एसएस राजहंस के अनुज डा. गौरीशंकर राजहंस का 20 दिसंबर 2021 (सोमवार) की सुबह निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। भागलपुर जिले के सुल्तानगंज के मुरारका महाविद्यालय के व्याख्याता से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले डा. राजहंस पत्रकारिता के रास्ते चलते हुए एक प्रसिद्ध प्रिंट मीडिया के प्रबंध निदेशक पद को भी उन्होंंने सुशोभित किया। वे बिहार के मधुवनी जिले के झंझारपुर से कांग्रेस के सांसद भी रहे। इसके बाद उन्होंने लाओस और कंबोडिया में भारत के राजदूत के पद पर देश का कुशल प्रतिनिधित्व किया। डा.राजहंस दैनिक जागरण,हिन्दुस्तान और अन्य अखबारों के संपादकीय पृष्ठ पर देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपने आलेखों के कारण छाए रहते थे।
सोमवार की सुबह स्व.राजहंस के कनिष्ठ भ्राता कनाडा निवासी डा. ज्ञानशंकर राजहंस ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जैसे ही उनके निधन की सूचना चलाई पूरा शहर शोकाकुल हो गया। डा. गौरीशंकर राजहंस के मित्र भारत के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने थे। वे अक्सर उनसे मिलने जाते थे। राष्ट्रपति रहने के बावजूद भी शंकर दयाल शर्मा जब भी डा. गौरीशंकर राजहंस के मिलते थे, दोनों में गर्म जोशी के साथ बातचीत होती थी। कई मुद्दों पर चर्चा होती थी। चर्चा के दौरान हास्य और विनोद भी होते रहता था। अक्सर दोनों अकेले मिलते थे। इसके अलावा कई बार वे वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने भी मिलने बुलाया था।