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महिलाओं ने रचा इतिहास, जब मालगाड़ी को दिखाई हरी झंडी और चल पड़ी गया से दिल्ली की ओर!

महिलाओं ने रचा इतिहास, जब मालगाड़ी को दिखाई हरी झंडी और चल पड़ी गया से दिल्ली की ओर!
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बचपन के वो दिन याद हैं? जब एक गार्ड मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाता था और ट्रेन छुक-छुक कर के चलने लगती थी? उस गार्ड को ध्यान से देखा था? वो हमेशा एक आदमी होता था. क्या आपने कभी किसी औरत को ये भूमिका निभाते हुए देखा है? नहीं न. पर अब आप देख पाएंगे. 18 जुलाई को गया जंक्शन पर वो पहली बार हुआ.
ज्योतिका कुमार और सुधा कुमारी. ये दोनों औरतें मालगाड़ी को झंडा दिखाने वाली पहली विमेन गार्ड बनी हैं. ईस्ट सेंट्रेल रेलवे की. ज्योतिका और सुधा ने गया और पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशनों के बीच मालगाड़ियां चलवाईं. इन दोनों ने पहले रेलवे में गार्ड के तौर पर भरती करने वाला एग्ज़ाम दिया. उसे पास करने के बाद, अप्रैल में ईस्ट सेंट्रेल रेलवे जॉइन किया.
18 जुलाई की सुबह, सुधा मालगाड़ी के गार्ड कोच में चढ़ीं. उनका पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के अधिकारीयों ने बड़े गर्मजोशी से स्वागत किया. उसी के एक घंटे बाद, ज्योतिका दूसरी मालगाड़ी में चढ़ीं. इनका स्वागत स्टेशन डायरेक्टर हिमांशु शुक्ला ने किया. ज्योतिका और सुधा कहती हैं:
"हम दोनों बहुत ख़ुश हैं. कुछ समय पहले हम कई सारे एग्ज़ामों की तैयारी कर रहे थे. तब हमने इंडियन रेलवे में फॉर्म भरा था. एग्ज़ाम पास करने के बाद हमने जॉइन कर लिया. हमे मालगाड़ियां चलवाने की ट्रेनिंग दी गई."
भले ही ईस्ट सेंट्रेल रेलवे की मालगाड़ियां चलवाने वाली ये पहली औरतें हैं. पर साउथ सेंट्रेल रेलवे ने ये मौका औरतों को 2013 में ही दे दिया था.
ऐसे कई सारे काम होते हैं जो हम समझते हैं केवल पुरुषों के लिए होते हैं. रेलवे गार्ड भी उन्हीं में से एक है. अच्छी बात ये है कि औरतें भी अब इन कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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