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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के एक और मामले में दोषी करार दिया है। बता दें कि 139.35 करोड़ रुपए के इस घोटाले में लालू यादव समेत 75 आरोपियों पर दोष सिद्ध हो गया है। लालू की सजा पर फैसला 21 फरवरी को होगा। इस बीच, लालू के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने समर्थकों से फैसले को स्वीकार करने की अपील करते हुए कहा है कि वह ऊपरी अदालतों में इसे चुनौती देंगे।
इस पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि ''हर किसी को कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। यह अंतिम फैसला नहीं है। 6 बार सजा सुनाई गई है। हम सभी केस में हाई कोर्ट गए। इसलिए यह अंतिम फैसला नहीं है। निश्चित तौर पर लालू जी दोषमुक्त होंगे। हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट है।''
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को 139.5 करोड़ रुपए के डोरंडा कोषागार गबन मामले में दोषी ठहराया तो 24 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने 29 जनवरी को मामले में दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रसाद को इससे पहले चारा घोटाला के चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है।
इस मामले के मूल 170 आरोपियों में से 55 की मौत हो चुकी है, 7 सरकारी गवाह बन चुके हैं, 2 ने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार कर लिए हैं और 6 फरार हैं। प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ. के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं।
गौरतलब है कि 950 करोड़ रुपए का चारा घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है। चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया। एजेंसी ने प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए। सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसाद, मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और प्रसाद को रांची जेल भेज दिया गया। दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले में प्रसाद को जमानत दे दी, जबकि दिसंबर 2017 में सीबीआई अदालत ने उन्हें और 15 अन्य को दोषी पाया और उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया। झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रसाद को अप्रैल 2021 में जमानत दे दी थी।