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मधुबनी नरसंहार नेता और पुलिस के कोकटेल का नतीजा है, नरसंहार के पीछे शराब के सिंडिकेट का है हाथ?
मीडिया की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है क्यों कि मीडिया बयान चलाने के बजाय इस नरसंहार में पुलिस और नेता की भूमिका क्या है इस पर मुख्यधारा की मीडिया खामोश है ।
सत्ता से सवाल करने के बजाय जब आप सत्ता की चिरौरी करने लगते हैं तो सत्ता की नजर में आपकी हैसियत एक रखैल से भी कमतर हो जाता है ।जी है मधुबनी नरसंहार मामले में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है ।
नरसंहार में मारे गये पीड़ित के परिजनों से मिलने वालो का भले ही तांता लगा हुआ है विधायक से लेकर मंत्री तक मिल चुके हैं लेकिन न्याय मिलना तो दूर अभी भी इस कांड में शामिल अपराधी खुल्लम खुल्ला घूम रहा है । और इतना ही नहीं पीड़ित परिवार को धमकी भी दे रहा है, कह रहा है जो लोग आ रहे हैं मिलने मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता , एक बेटा बचा है उसकी भी अर्थी निकालने की तैयारी शुरु कर दो,तीन बेटा मारा गया है फिर भी लगता है तुम्हारा कलेजा ठंडा नहीं हुआ है।
ये धमकी नरसंहार में अपना तीन बेटा खो चुके फौजी पिता सुरेंद्र सिंह को दी जा रही है आज सुबह जब हमारी उनसे बात हुई तो वो फुट फुट कर रोने लगे और कहा संतोष जी क्या बताये बोलते बोलते मैं थक गया हूं, मैं अपनी पूरी जिंदगी सरहद पर देश की रक्षा करने में लगा दिया और मेरा चारों बेटा देश और समाज के लिए अपनी जिंदगी निछावर करने को हमेशा तत्पर रहता था।
लेकिन मुझे कहा पता था कि देश के अंदर इस तरह के गद्दार पलते हैं सारा प्रशासन अभियुक्त बचाने में लगा हुआ है और इतना कहते कहते वो जोड़ जोड़ से रोने लगे मेरे पास कोई शब्द नहीं था आखिर में मैं ही फोन काट दिया लेकिन फौजी पिता जिस तरीके से स्थानीय प्रशासन पर अभियुक्त को बचाने का आरोप लगा रहा हैं उसे आप खारिज नहीं कर सकते ।
इस मामले में मधुबनी के अखबार और टीवी मीडिया से जुड़े अधिकांश पत्रकारों से मेरी लगातार बात हो रही है ,मधुबनी एसपी और बेनीपट्टी डीएसपी बात करने से ऐसे घबरा रहा है जैसे सच में वो अभियुक्तों को बचाने में लगे हैं या फिर काफी दबाव में हैं।
1-अभी तक एक भी नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हुई है
29 मार्च की घटना है आज 4 अप्रैल है छह दिनों बाद भी नरसंहार मामले में नामजद एक भी अभियुक्त की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है जब ये सवाल एसपी से किया गया तो वो इतना कहकर फोन रख दिये कि पूरी जानकारी लेकर बात करते हैं उसके बाद वो फोन नहीं उठा रहे हैं ।
ऐसा ही कुछ जवाब बेनीपट्टी डीएसपी का भी है आठ लोगों की तो गिरफ्तारी हो गयी उनसे जब गिरफ्तार अभियुक्त का नाम पुछा गया तो डीएसपी साहब आकाश देखने लगे, नाम उन्हें याद नहीं है ।
स्थानीय पत्रकारों से भी मेरा यही सवाल था एक महाशय तो दावा के साथ कहने लगे कि नहीं नहीं सभी नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई मैंने कहा एक का भी नाम बताये तो वो हाथ खड़े कर दिये , इस मामले में अभी तक जिसकी भी गिरफ्तारी हुई है किसी को भी पता नहीं है कि वो गिरफ्तार व्यक्ति कौन है यहां तक की मीडिया को भी पता नहीं है जिन आठ लोगों के गिरफ्तारी की बात बेनीपट्टी पुलिस कर रही है वो कौन है उसका इस नरसंहार से क्या रिश्ता है कोई जवाब नहीं है अभी तक इस मामले में ना तो डीएसपी और ना ही एसपी अधिकारिक तौर पर मीडिया को कोई जानकारी दिया है।
2-फोरेंसिक एक्सपर्ट का भी सहयोग नहीं लिया गया है
इतनी बड़ी घटना घटी है लेकिन मधुबनी एसपी इस मामले में अभी तक फोरेंसिक एक्सपर्ट का सहयोग नहीं लिया है ,जबकि घटनास्थल पर कई ऐसे साक्ष्य मौजूद थे जिसका फोरेंसिक जांच होता तो एक भी अभियुक्त नहीं बच पाता ।
घटना स्थल पर जिस तरीके से अंधाधुंध गोली चली थी और उसके बाद अपराधी और मृतक के बीच उठा पटक हुआ था उस दौरान कई अपराधी भी घायल हो गये थे ,उनका ब्लड वहां गिरा हुआ था ,अपराधी का मोबाइल ,मोटरसाइकिल और कई हथियार घटना स्थल पर छुट गया था।
इतना ही नहीं दर्जनों गोली का खोखा घटना स्थल पर गिरा हुआ था साथ ही अपराधियों का फुटमार्क जगह जगह मौजूद था साथ ही जिसकी हत्या हुई है उनमें से एक बीएसएफ का जवान था उनको गोली लगने के बावजूद तीन अपराधियों को वो पकड़ लिये थे और उसके साथ उठा पटक भी हुआ था जिस दौरान अपराधियों के हथियार से इन्होंने मुख्य आरोपी प्रवीण झा और नीरज झा को घायल कर दिया था घटना के बाद प्रवीण झा और नीरज झा का इलाज एक स्थानीय डां के यहां हुआ था उसको पुलिस गिरफ्तार कर लिया है ।
घटनास्थल पर मौजूद ब्लड और डांँ के क्लीनिक में मिला ब्लड की जांच हो जाती तो दोनों मुख्य अभियुक्त की फांसी तय थी। लेकिन इतने वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद भी मधुबनी एसपी पटना से फोरेंसिक एक्सपर्ट को नहीं बुलाया। ऐसे में मधुबनी एसपी के कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है ।
3- एसपी ने अभी तक एसआईटी का गठन नहीं किया है
जिला में कोई भी बड़ी घटना घटित होती है तो अमूमन एसपी जिले के तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारियों के नेतृत्व में एसआईटी का गठन करता है एसपी साहब जिस बेनीपट्टी डीएसपी पर रावण सेना के सेनापति प्रवीण झा और नवीन झा को संरक्षण देने का आरोप है उसी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया है मतलब बिल्ली को ही दूध की रखवाली का जिम्मे दे दिए हैं और यही वजह है कि अभी तक एक भी नामजद अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हुई है ।
इस तरह के कई ऐसे प्रमाण उपलब्ध हैं जो दिखाता है कि इस पूरे खेल में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है जिन तीन भाइयों की हत्या इस नरसंहार के दौरान हुई है उसका एक भाई पिछले चार माह से जेल में है इस पर आरोप यह है कि एक दलित युवक को उन्होंने जाति सूचक शब्द से संबोधित किया है जबकि जिस युवक के बायन पर मुकदमा दर्ज हुआ है उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है गांव वालों का कहना है कि छठ के दो दिन पूर्व प्रवीण झा और नवीन झा से मछली का ठेका को लेकर विवाद हुआ था जिसमें संजय सिंह बुरी तरह से जख्मी हो गया था और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा था पुलिस संजय सिंह का बयान भी लिया लेकिन प्रवीण झा और नवीन झा पर मुकदमा दर्ज करने के बजाय पुलिस ने संजय सिंह पर ही एससी एसटी एक्ट का एक मामला दर्ज करके जेल भेज दिया जबकि यह मामला पूरी तरह से फॉल्स है ।
सिर्फ एससी एसटी मुकदमे की जांच सीनियर अधिकारी के द्वारा करवा दिया जाये नरसंहार के पीछे किस विधायक का हाथ है, किस अधिकारी का हाथ है सब कुछ सामने आ जाएगा क्यों कि इस नरसंहार की पटकथा छह माह पूर्व से तैयार की जा रही थी ।
संतोष सिंह, वरिष्ठ पत्रकार