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कुमार कृष्णन
भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक छात्रावास की अधिक्षिका नाहिदा नसरीन के तानाशाही रवैया के खिलाफ छात्राओं ने मोर्चा खोल दिया है। आज अल्पसंख्यक छात्रावास की छात्राएं तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के डीएसडब्ल्यू से मिलकर अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास की अधिक्षिका नाहिदा नसरीन को पद से हटाने को लेकर आवेदन दिया। इससे पहले भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग भागलपुर व सचिव पटना को भी आवेदन ईमेल करके छात्रावास में अधिक्षिका की तानाशाही रवैया के खिलाफ आवेदन दिया गया, लेकिन अभी तक अधिक्षिका के तानाशाही रवैया के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।
छात्रावास की छात्रा दिलशाद अख्तर कहती हैं कि हमारी अधीक्षिका नाहिदा नसरीन द्वारा हमलोगों को मानसिक रूप से हमेशा प्रताड़ित किया जाता है। अधिक्षिका रवैया छात्राओं के प्रति हमेशा अभद्र भाषा का प्रयोग करती है। कभी भी लड़कियों की समस्या को नहीं सुनना चाहती है, जो लड़की अपने अधिकारों की बात करती है तो उसे एफआईआर करने व छात्रावास. से बाहर निकालने की धमकी. दिया जाता है। अगर, एक तरह से कहें तो अधिक्षिका नाहिदा नसरीन छात्रावास को सरकारी छात्रावास न समझ के अपनी जागीर समझती हैं।
आगे दरख शान परवेज कहती हैं कि अधिक्षिका का रवैया लड़कियों के साथ इस तरह होता है कि वो अपनी पद की गरिमा का भी एहसास उन्हें नहीं रहती है। छात्रावास में वो इस तरह से हुकूमत चलाती है कि उसके आदेश के अनुसार परिंदा भी पर नहीं मार सकती है। उसके आदेशानुसार हैं छात्रावास खुलता व बंद होता है चाहे लड़कियों को उस वक्त किसी तरह की परीक्षा ही क्यों नहीं चलती है। हद तो ये है कि पीजी व यूजी के हर समेस्टर के परीक्षा के बाद लड़कियों को छात्रावास खाली करने को कहा जाता है और फिर से नामांकन के लिए कहा जाता है।
आगे नगमा अनवर कहती हैं कि सरकार के तरफ से जो सुविधाएं छात्रावास को दिया जाता है, उससे छात्रावास की लड़कियां हमेशा वंचित रहती हैं। अधिक्षिका के द्वारा एक रूम में ताला लगा के रखा जाता है। अगर हमें सरकारी सुविधाओं से हमेशा वंचित ही रखा जाता है तो छात्रावास में रहना न रहना बराबर है।
छात्रावास की छात्रा नीदा फातमा कहती हैं कि छात्रावास में जो मेस चलता है, उस मेस वाली का भी रवैया लड़कियों के प्रति बहुत खराब रहती है क्योंकि इस मेस वाली के सिर के ऊपर भी अधिक्षिका की हाथ हैं। हर रोज किसी ना किसी लड़कियों को मेस वाली का भी बदतमीजी झेलनी ही पड़ती है।
आगे बेनीजीर ताज कहती हैं कि जब हम अधिक्षिका से छात्रावास में हुई परेशानी का शिकायत करती हैं तो वो शिकायत करनेवाली लड़कियों के अभिभावकों को फोन कर के बहुत गलत तरह की बातें करती हैं जिसके कारण हमें घर से भी अलग डांट सुननी पड़ती है। आखिर कब तक हम इन मानसिक परेशानियों को झेलते रहेंगे। क्या अपना हक अधिकार के लिए आवाज उठाना कोई गुनाह है?
आगे फराहत फिरदौस कहती हैं कि हमने कई बार छात्रावास की अधिक्षिका नाहिदा नसरीन के तानाशाही रवैया की शिकायत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, भागलपुर को भी आवेदन दिया लेकिन इस पर खोई सुनवाई नहीं हुई और आज हमने डीएसडब्ल्यू को भी आवेदन देकर पूरी मामला से अवगत कराया व डीएसडब्ल्यू ने सोमवार तक का समय मांगा है अगर अब भी हमारी शिकायत फर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो हम इन सवालों को लेकर आगे भी आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे और जब तक छात्रावास की तानाशाही अधीक्षिका नाहिदा नासरीन को हटा नहीं दिया जाता है तब तक ये संघर्ष जारी रहेगी।
इस मौके पर जामीला इशरत, अनमोल खातून, गुलनाज, सुबी, राबिया, सादकीन, सबरीन, मुस्कान, मेहर ताज,नेहा सहित अनेक छात्राओं ने हिस्सा लिया।