मुजफ्फरपुर

50 दिनों के बाद अस्पताल वॉर्ड से जेल बैरक में पहुंचा ब्रजेश ठाकुर

Anamika goel
15 Aug 2018 6:40 AM GMT
50 दिनों के बाद अस्पताल वॉर्ड से जेल बैरक में पहुंचा  ब्रजेश ठाकुर
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अपने स्वास्थ्य वजहों को ढाल बनाकर 50 दिनों से अस्पताल वार्ड में रहने के बाद आख़िरकार मंगलवार को ब्रजेश ठाकुर को जेल की काली कोटरी में जाना पड़ा .

नई दिल्ली :

बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को आखिरकार जेल की काली कोठरी में जाना पड़ा है। हालांकि इससे पहले वह तकरीबन 50 दिन तक जेल के अंदर ही स्थित अस्पताल के वॉर्ड में आराम फरमाता रहा। मंगलवार शाम को ब्रजेश को मुजफ्फरपुर जेल भेज दिया गया।

ब्रजेश ठाकुर स्वास्थ्य वजहों को ढाल बनाकर जेल के अंदर अस्पताल के वॉर्ड नंबर 8 में भर्ती था। मंगलवार को उसे मुजफ्फरपुर की उच्च सुरक्षा वाली जेल बैरक में शिफ्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि जेल अधिकारियों ने यह कदम मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद उठाया। हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक ब्रजेश की बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें अब नियंत्रण में हैं। इसके साथ ही अब ब्रजेश पर सीबीआई शिकंजा कसने की तैयारी में है। हिरासत में उसे सीबीआई के सवालों का सामना करना होगा।

बता दें कि 27 जून को ब्रजेश को श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) से जेल में शिफ्ट किया गया था। बिहार पुलिस ने दो जून को ब्रजेश को गिरफ्तार किया था और जिला जेल के वॉर्ड में पहुंचने से पहले उसने एसकेएमसीएच में तकरीबन तीन हफ्ते बिता दिए।

जेल अस्पताल के वॉर्ड-8 में था ब्रजेश

मुजफ्फरपुर के जेल सुपरिंटेंडेंट राजीव कुमार झा ने हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स को बताया था, 'हमने उसे (ब्रजेश ठाकुर को) जेल के अंदर स्थित अस्पताल के वॉर्ड नंबर 8 में रखा है। एसकेएमसीएच के डॉक्टरों ने मुझे बताया था कि ब्रजेश स्लिप डिस्क और गंभीर डायबीटीज से पीड़ित है। साथ ही उसका ब्लड प्रेशर भी घटता-बढ़ता रहता है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना है। लिहाजा उसे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रखने की जरूरत है। अगर बैरक में उसके साथ कुछ हो जाता है, तो आखिर कौन जिम्मेदार होगा?'जेल अधीक्षक झा ने कहा, 'अगर डॉक्टर कहते हैं कि उसे जेल अस्पताल में रखो, तो हम क्या कर सकते हैं? हो सकता है कि उसने कोई अपराध किया हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें उसे उचित इलाज नहीं मुहैया कराना चाहिए। यह उसका अधिकार है। अगर वह मर जाता है, तो आप ही कहोगे कि किसी साजिश के तहत उसकी मौत हुई है।'

क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस

बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में 34 लड़कियों से रेप का खुलासा होने के बाद राज्य की सियासत गरमा गई थी। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट के बाद इस सनसनीखेज कांड का पता चला था। दबाब बढ़ने के बाद नीतीश सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। साथ ही सरकार ने समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक देवेश कुमार को निलंबित कर दिया। इसके अलावा भोजपुर, मुंगेर, अररिया, मधुबनी और भागलपुर सामाजिक कल्याण विभाग के सहायक निदेशकों को भी सस्पेंड किया गया। केंद्र की मंजूरी के बाद अब सीबीआई इस घटना की तफ्तीश कर रही है। जांच एजेंसी ने ब्रजेश ठाकुर के बेटे से भी इस मामले में पूछताछ की थी। बाद में उसे छोड़ दिया गया था।

जेल अधीक्षक झा ने कहा, 'अगर डॉक्टर कहते हैं कि उसे जेल अस्पताल में रखो, तो हम क्या कर सकते हैं? हो सकता है कि उसने कोई अपराध किया हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें उसे उचित इलाज नहीं मुहैया कराना चाहिए। यह उसका अधिकार है। अगर वह मर जाता है, तो आप ही कहोगे कि किसी साजिश के तहत उसकी मौत हुई है।'


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