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जब सारी दुनिया सोती है तब यहां की गलियां गुलज़ार होती हैं
शिव कुमार मिश्र
4 Feb 2018 4:04 PM IST
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जब सारी दुनिया सोती है तब यहां की गलियां गुलज़ार होती हैं. इन्ही गलियों में घुंघरुओं की खनक पर वक़्त भी थम सा जाता है. रोज़ाना ठंढी हुई रात भी ठहर जाती है. तबले की थाप पर चराग़ों की लव भी थिरकती है.
सदियों की सन्नाटे को छम-छम की आवाज़ हर रोज़ दौड़ती है. एक नहीं कई बादशाह दुनिया जीत कर भी यहां हार गए. "मुजरा" यही वो नाम है उस जादूगरी का जिसके तिलिस्म से भरा है बा-बेदखल. वफ़ा मोहब्बत की नई परिभाषाएं भी यहीं गढ़ी गई.
लेकिन यहां वो सब अब नहीं दिखता, ज़िल्लत भरी जिंदगी से ऊब गई हैं तवायफें, वो भी चाहती हैं अब इज्ज़त से जीने का अधिकार मुझे भी मिलना चाहिए.
शिव कुमार मिश्र
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