पटना

शांति और न्याय के लिए अभूतपूर्व अहिंसक पदयात्रा, पटना से राजगोपाल पीवी करेंगे शुरुआत

सुजीत गुप्ता
17 Sept 2021 3:12 PM IST
शांति और न्याय के लिए अभूतपूर्व अहिंसक पदयात्रा, पटना से राजगोपाल पीवी करेंगे शुरुआत
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देश भर में सौ से अधिक जगहों पर निकलेंगी पदयात्राएं

प्रसून लतांत

नई दिल्ली। एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी की अपील पर देश के विभिन्न राज्यों में करीब सौ से अधिक जगहों से पदयात्राएं विश्व शांति दिवस से शुरू होंगी और विश्व अहिंसा दिवस पर यानी गांधी जयंती के दिन ढेर सारे भावी कार्यक्रमों के निर्माण के साथ संपन्न होगी। इस यात्रा में आदिवासियों,दलितों और वंचितों के साथ समाजसेवक,पत्रकार और कलाकार और लेखक व चिंतक के साथ खासकर गांधीवादी कार्यकर्ता भी भाग लेंगे।

एकता परिषद के संस्थापक और प्राकृतिक संसाधनों पर आम जन के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अबतक अनेक पदयात्राएं कर चुके राजगोपाल पीवी इस पदयात्रा की शुरुआत 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस से बिहार की राजधानी पटना से करेंगे।

देश भर में पदयात्रा के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में पौधे लगाए जाएंगे। एकता को मजबूत करने के लिए सामूहिक भोज होंगे। साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न विभिन्न समस्याओं पर विचार किया जाएगा। गांवों की सुंदरता,शुद्ध जल,शिक्षा,श्रमिकों के पलायन आदि मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया जाएगा और युवाओं को अहिंसात्मक अर्थ व्यवस्था से जोड़ने के प्रयास होंगे। और यह पदयात्रा यात्रा विश्व शांति दिवस पर सबकी अपनी हो जमीन सबका अपना आसमान हो जैसे गीत और जय जगत के नारों के साथ शुरू हो रही है और विश्व अहिंसा दिवस पर संपन्न होगी।

मौजूदा दौर में देश और दुनिया को शांति की तलब तेज़ हो गई है। दुनिया भर में शांति फैलाने के मकसद से पहली बार 1982 में मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व शांति दिवस की स्थापना 1981 में की गई थी। अब 2001 से हर वर्ष 21 सितंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। हर साल की थीम तय की जाती है। इस बार की थीम है एक समान और टिकाऊ दुनिया के लिए बेहतर रिकवरी। पिछले साल की थीम थी शेयरिंग पीस टुगेदर।

दुनिया भर के विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि विश्व में शांति बनाए रखने के लिए जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण जरूरी है। सोचा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन विश्व शांति और सुरक्षा के लिए अब कितना घातक हो गया है। विकास करते करते आज मनुष्य जहां पहुंच गया है वहां से आगे बढ़ने के लिए उसे अब पूरी संस्कृति शांति की चाहिए। केवल शांति काफी नहीं है उसकी संपूर्ण संस्कृति चाहिए। शायद यही सोचकर गांधी ने रचनात्मक कार्यक्रम की कल्पना की।

गांधीवादी राजगोपाल का कहना है कि हिंसा छोड़ने का अर्थ इतना ही नहीं है कि लड़ाई नहीं हो। लड़ाई ना हो यह बुनियादी बात है किंतु साथ-साथ दूसरी चीज भी जरूरी है। मनुष्य का जीवन ऐसा हो जिसमें युद्ध की जरूरत ना हो और समाज की रचना ऐसी हो जिसमें शोषण की गुंजाइश ही न रह जाए। राज्य की व्यवस्था ऐसी हो जिसमें दमन की जरूरत ना हो और शांति की पद्धति प्रकट होना होगा। तब लगेगा कि सभ्यता में परिवर्तन हो रहा है। उस परिवर्तन से हमारे मन में भय पैदा नहीं होगा। तब हम उसका स्वागत करेंगे ।

भारत में भी परिवर्तन हो रहा है लेकिन उसके जो परिणाम प्रकट हो रहे हैं। उनसे भय पैदा हो रहा है। लोगों के जीवन में शांति और समाधान नहीं आ रहा है । आमतौर पर लोग परिवर्तन का अर्थ यह लगा लेते हैं कि उनको कुछ सुविधाएं मिल जाए। कुछ सुविधाओं का मिलना एक बात है और ऐसी स्थिति का पैदा होना जिसमें आम आदमी का जीवन ऊपर उठे यह दूसरी बात है। दुनिया भर में शांति की क्या स्थिति है। उसका अंदाजा इस साल जून में घोषित

वैश्विक शांति सूचकांक 2021 के अनुसार लगा सकते हैं। इस घोषणा के मुताबिक आइसलैंड आज विश्व का सर्वाधिक शांतिमय देश है। उसके बाद न्यूजीलैंड दूसरे, डेनमार्क तीसरे, पुर्तगाल चौथे और स्लोवेनिया पांचवें स्थान पर है। अफगानिस्तान आज विश्व का सर्वाधिक अशांत देश है। 163 देशों में भारत का स्थान 135 वां है।

शांति प्रयासों के लिए एकता परिषद के कदम सराहनीय हैं। एकता परिषद ने अपनी स्थापना काल से ही शांति के लिए जमीन के मुद्दे को लेकर संघर्ष शुरू किया। यह सच है कि अपने देश में जमीन को लेकर ठीक व्यवस्था नहीं होने की वजह से हिंसा होती है। इसी के साथ और भी कारण हैं जिनके चलते प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हिंसा होती है। भारत में जमीन के कारण हिंसा होती हैं। इसी हिंसा को समाप्त करने के लिए विनोबा भावे ने तेरह साल तक भूदान के लिए पदयात्राएं की।

एकता परिषद के संस्थापक और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक राजगोपाल पीवी ने जमीन के हल के लिए संघर्ष किया। इसके लिए अनेक शांतिमय और अहिंसक पदयात्राएं की। सड़को पर लाखों उपेक्षितों को न्याय के लिए अहिंसक संघर्ष करने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने चंबल के बागियों के आत्म समर्पण के बाद उनके पुनर्वास के दौरान चंबल में शांति के लिए गांधी और विनोबा के विचारों के अनुरूप समाज रचना को साकार करने की भूमिका निभाई। जन जन को जोड़ा। देश विदेश के युवाओं को जोड़ा।

राजगोपाल जी 19 सितंबर को पटना आने के बाद सीधे अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान में आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय परिसंवाद में शामिल होंगे। यहां पर भूमि सुधार विषय पर उनका परिसंवाद है। अगले दिन राजगोपाल जी 20 सितंबर को बिहार के नामी गिरामी सामाजिक व राजनैतिक नेताओं से मुलाकात करेंगे। अगले दिन 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस पर बिहार विधान परिषद के सभागार में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। उसी दिन नौबतपुर (पटना) से 11 दिवसीय न्याय और शांति पदयात्रा का फ्लैग ऑफ करेंगे।

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