पटना

अखिलेश और मायावती को इस मौके से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि लालूप्रसाद से सीख लेनी चाहिए

Special Coverage News
6 Jan 2019 2:40 PM GMT
अखिलेश और मायावती को इस मौके से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि लालूप्रसाद से सीख लेनी चाहिए
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जयंत जिज्ञासु

इस अहम जंक्चर पर डरना मना है अखिलेश जी और बहन मायावती जी। अखिलेश जी अपनी ही पार्टी के संस्थापक महासचिव आज़म खां साहब को सुन लें, ताक़त मिलेगी। आज़म ख़ां ने 2017 में सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, "सबक लो समाजवादियो, बिहार से सबक लो, लालू यादव जी पर कौन-सा सितम नहीं ढाया गया, लेकिन सीबीआई और ईडी का ख़ौफ़ लालू यादव के क़दमों को डगमगाने में क़ामयाब नहीं हो सका"।

लालू प्रसाद अपने क्लीयर स्टैंड की वजह से जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। पिछले साल जिस कदर उन्हें एम्स से फिर रिम्स भेजा गया था, वह इस सरकार के महापतित होने का एक और सुबूत है। पूरी दुनिया के क़ानून में ऐसे दोहरे ट्रीटमेंट व अमानवीय बर्ताव की बात नहीं है।

स्वाति चतुर्वेदी के साथ एक साक्षात्कार में लालू प्रसाद ने कहा था, "हमारे ऊपर जितना भी प्रहार होते रहा है, अभी भी होता है। अगर मेरी जगह पर कोई और दूसरा नेता होता तो उसका हार्ट फेल हो गया रहता! बेटी की विदाई हो रही होती है, तो उस वक़्त इनकम टैक्स का नोटिस आता है। मुझे कभी-कभी अफसोस होता है, इस देश में दो तरह का चलन चलाया जा रहा है, दो कानून हैं। हमने क्या किया है? जुडिशरी पर अटूट भरोसा है। सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने की इतनी बड़ी सजा!"

नोटबंदी के दौरान गडकरी की बिटिया की शादी जिस शाही अंदाज़ में हुई, उस पर कोई जवाब तलब मीडिया वाले नहीं करते। लालू की बिटिया की शादी में हुए खर्च पर मनगढंत कहानी बनाकर पन्ने के पन्ने रंग देने वाले अख़बारों ने अस्थाना व गडकरी की कन्या के विवाह पर ख़ामोशी ओढ़ लिया।

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