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बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर काफी सरगर्मी मची हुई है. रोज एक दल दुसरे गठबंधन से मिल रहा है, तो कई दलों के आपसे नेता भी एक दुसरे दल में शामिल हो रहे है तो कई शामिल होने के लिए बोरा बिस्तरा तैयार लिए बैठे है. फिलहाल की जो पोजीशन बनती नजर आ रही है उससे एनडीए को नुकसान होता प्रतीत हो रहा है.
बिहार में जिस कांग्रेस जिस तरह से अपर कास्ट का चेहरा बनती नजर आ रही है उसके चलते बीजेपी की मुश्किलें बढती नजर आ रही है. आरजेडी खासकर लालूप्रसाद यादव को एंटी अपर कास्ट माना जाता रहा है. जिसके चलते बीजेपी हमेशा अपर कास्ट का एकमुश्त वोट बिहार में पाती रही है जो उसकी जीत का सबसे बड़ा कारण रहां है. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपर कास्ट को दस प्रतिशत आरक्षण देकर बिहार की राजनीती में तेजी से बदलाब किया.
आरजेडी इस कानून के विरोध में खड़ी हो गई जिससे पिछड़ा और दलित एक बार फिर से बिहार में आरजेडी के साथ खड़ा नजर आ रहा है. साथ ही अपर कास्ट के आरक्षण पर कांग्रेस ने राजद से दूरी बनाकर अपनी अपर कास्ट समर्थित छवि जरुर बना ली. इससे बीजेपी के एक मुस्त अपर कास्ट वोट में कांग्रेस ने सेंध लगा ली है. जिसके चलते है बीजेपी और जदयू के कई बड़े नेता कांग्रेस का दामन थाम चुके है तोकुछ थामने की तैयारी में है.
इस नये समीकरण से बीजेपी की बिहार में भी नींद उडी हुयी है. चूँकि आरजेडी यह बदलाब देखकर खुश प्रतीत हो रहा है क्योंकि आरजेडी इसी वोट वेंक में सेंध नहीं लगा पा रह था जिसके चलते उसकी जीत के समीकरण बिगड़ जाते थे. लेकिन इस बार बिहार में जो नये समीकरण उभर रहे है उससे आरजेडी की जीत की उम्मीद बढती जा रही है. उसका एक कारण यह भी कि पिछले चुनाव में जहाँ कुशवाहा और कोइरी समाज का एकमुस्त वोट बीजेपी को मिला था इस बार वो भी नहीं मिलेगा. क्योंकि इस समाज के प्रतिनिधित्व उपेंद्र कुशवाहा करते है वो भी उनके ही साथ है. हाँ अगर इस बार राजद जीता तो बिहार के अब नये मौसम वैज्ञानिक उपेंद्र कुशवाहा माने जायेंगे. क्योंकि वो हमेशा जीतने वाले के साथ होते है.