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बिहार चुनावी मंथन : बरबीघा विधानसभा 170 में दो चेहरों की बीच होगी 2020 के विधानसभा चुनाव में घमासान, होगा कांटे का टक्कर
वरिष्ठ संवाददाता(ललन कुमार) : बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव की तारीखों का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने बरबीघा विधानसभा का चुनाव पहले चरण 28 अक्टूबर को कराने की तिथि निर्धारित कर चुकी है। संभावित प्रत्याशी अपने स्तर से चुनावी जीत का शतरंज बिछाने में पार्टी स्तर से तैयार हो चुके हैं। बरबीघा विधानसभा चुनाव में 2 चेहरों के बीच घमासान होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि चुनावी मैदान में कई चेहरे भी होंगे लेकिन 2 चेहरों के बीच ही चुनावी संग्राम होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि जिन चेहरों के बीच चुनावी घमासान होगा वे कांग्रेस में जदयू छोड़ फिलहाल शामिल हुए गजानन शाही और कांग्रेस छोड़ जदयू में फिलहाल शामिल हुए निवर्तमान बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार हैं। ऐसे तो त्रिशूल धारी सिंह,शिव कुमार सिंह डॉ मधुकर ,पूनम शर्मा का भी नाम चुनावी मैदान में उतरने की आ रही है।
बरबीघा विधानसभा भूमिहार और कुर्मी बाहुल इलाका है। यह विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2005 के अक्टूबर हुए चुनाव में कांग्रेस का गढ़ नीतीश कुमार की लहर के चलते जदयू के प्रत्याशी आर.आर. कनौजिया ने ढाह दिया और उस चुनाव में 34223 वोट लाकर प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के प्रत्याशी महावीर चौधरी को 9473 वोटों से हराने में सफलता पाई। इससे पूर्व 2005 के 15 फरवरी को हुए चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अशोक चौधरी को 40339 वोट मिले थे जबकि जदयू के प्रत्याशी रहे मिथिलेश कुमार को 27348 वोट। जदयू 2005 के बरबीघा विधानसभा में दूसरे स्थान पर रही। बिहार में नीतीश कुमार की सुशासन की छवि के चलते एनडीए की सरकार बनी। विकास को जनहित में रफ़्तार दिया गया ।जिसके चलते 2010 के चुनाव में फिर नीतीश लहर चली। 9 नवम्बर 20210 बिहार विधानसभा के चुनाव में गजानंद शाही को बरबीघा विधान सभा 170 के चुनाव में जदयू ने उम्मीदवार बनाया और वे 24136 वोट लाये और इनके प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के अशोक चौधरी को 21089 वोट मिले। वे गजानन्द शाही से 3047 वोट से हार गए।
जबकि उस चुनाव में बरबीघा के निवर्तमान विधायक सुदर्शन कुमार लोजपा से उम्मीदवार सूरजभान सिंह हस्तक्षेप के चलते बनाये गए थे। उन्हें उस चुनाव में 20149 वोट मिले थे। त्रिशूलधारी सिंह और शिवकुमार सिंह उस चुनाव में निर्दलीय चुनाव मैदान में थे। करीब करोड़ रुपये खर्च के बावजूद त्रिशूलधारी सिंह को 15318 वोट मिले थे और शिव कुमार को 4203 वोट मिले थे। 2015 के चुनाव में एनडीए से जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने क़ुछ बीजेपी नेताओ के अनर्गल बयानबाजी से नीतीश कुमार नाता तोड़कर राजद- कांग्रेस से महागठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरे। 12 अक्टूबर 2015 को हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन से कांग्रेस के सुदर्शन कुमार को बरबीघा विधानसभा 170 से प्रत्याशी बनाये गए और एनडीए के हिस्सा रहे रालोसपा से शिव कुमार को प्रत्याशी बनाया गया। इस चुनाव में सुदर्शन कुमार को 46406 वोट मिले और शिवकुमार को 30689 वोट मिले और 15117 वोट से शिवकुमार चुनाव हार गए। लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा के चुनाव में परिदृश्य बदला बदला है।
जदयू में रहते हुए गजानन्द शाही जनता से जुड़े रहे। जनसरोकार के कार्यो में चढ़ बढ़ कर हिस्सा लेते रहे। जिससे जनता आज भी जुड़ी दिख रही है।ऐसी चर्चा है। वहीं निवर्तमान बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार जनसरोकार से दूर रहे जिसके चलते कुठौंथ गांव में जनसम्पर्क के दौरान जनता का विरोध झेलना पड़ा। अब सुदर्शन जदयू में आ चुके है और गजानन्द शाही जदयू छोड़ कांग्रेस में आ चुके है। कयास लगाया जा रहा है कि बरबीघा सीट से कांग्रेस से गजानन्द शाही को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा और सुदर्शन को जदयू से बरबीघा सीट से प्रत्याशी बनाएगी। इधर त्रिशूल धारी सिंह अनन्त सिह के करीबी माने जाते है। अनन्त सिह के राजद में चले गए है। त्रिशूलधारी सिंह के करीबी रौशन सिंह बतलाते है कि त्रिशूलधारी सिंह बरबीघा सीट से महागठबंधन से चुनावी मैदान में आ सकते हैं। उनका राजनीतिक सफर पर रौशन सिंह ने बतलाया कि वे जिला कांग्रेस के प्रथम उपाध्यक्ष भी रह चुके है।यदि ऐसा नहीं होता है तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में आ सकते है। इस परिस्थिति में देखा जाय तो ऐसा लगता है कि कांग्रेस और जदयू के दो चेहरे दिख रहे है।इसके अलावे कई चेहरे चुनावी मैदान में आने की संभावना है। गजानन्द शाही को कांग्रेस यदि बरबीघा से उम्मीदवार बनाती है सुदर्शन के विरोधी वोट मिलने की संभावना दिख रही है। सुदर्शन को यदि जदयू बरबीघा से उम्मीदवार बनाती है तो शिवकुमार के निर्दलीय चुनाव मैदान में आने से उनके भूमिहार जाति के वोटों में विभाजन होने से नुकसान हो सकता है। बरबीघा में कुर्मी जाति का वोट निर्णायक भूमिका में होगी।
कुल मिलाकर देखा जाय तो यदि त्रिशूलधारी सिंह और शिवकुमार सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरते हैं तो दो चेहरों गजानन्द शाही और सुदर्शन के बीच चुनावी घमासान प्रबल होने की संभावना है। आसान नही है जदयू और महागठबंधन के प्रत्याशी का जीत।
सभी प्रत्याशियों के भाग्य का तय 28 अक्टूबर को मतदाता ही तय करेंगे । हालांकि चुनावी मंथन अंक लिखने तक किसी भी प्रत्याशी को किसी दल से टिकट नहीं मिल सका था।