पटना

अखबारों में सुप्रीम कोर्ट की तीन प्रमुख खबरें, वैसे तो मैं शराब नहीं पीता ना बिहार जाने वाला हूं, फिर भी ...

Shiv Kumar Mishra
16 May 2020 11:03 AM IST
अखबारों में सुप्रीम कोर्ट की तीन प्रमुख खबरें, वैसे तो मैं शराब नहीं पीता ना बिहार जाने वाला हूं, फिर भी ...
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संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों में सुप्रीम कोर्ट की तीन प्रमुख खबरें हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने इनमें से एक खबर पहले पन्ने पर छापी है, शीर्षक लगाया है, "प्रवासियों पर जनहित याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा : जब वे रेल पटरियों पर सो जा रहे हैं तो कोई उन्हें कैसे रोक सकता है?" हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी इस खबर को पहले पन्ने पर छापा है। शीर्षक है, "सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए पूछा, हम प्रवासियों को पैदल जाने से कैसे रोक सकते हैं?" द टेलीग्राफ ने इसे आज का कोट बनाया है, "ऐसे लोग हैं जो पैदल जा रहे हैं और रुक नहीं रहे हैं। हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं?" इसके अलावा, द टेलीग्राफ ने अच्छा काम यह किया है कि तीनों खबरों को एक साथ छापा है। इनके शीर्षक हैं - 1. "प्रवासियों को पैदल जाने से रोक नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट" 2. "सुप्रीम कोर्ट ने केरल में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध को स्टे कर दिया" और 3. "सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री को फिलहाल बने रहने दिया"।

यह गुजरात के शिक्षा और कानून मंत्री के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को स्टे कर दिए जाने से हुआ। टेलीग्राफ ने इसे एक फोटो के साथ कैसे प्रस्तुत किया है देखना चाहें तो लिंक कमेंट बॉक्स में। सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से संबंधित कुछ तथ्य हैं जिनपर शायद भविष्य में कभी चर्चा हो। जैसे रेल की पटरी पर सोना - आत्महत्या की कोशिश का मामला है। इसे रोका जाना चाहिए। वैसे भी पटरी पर चलना रेलवे के नियमों से अपराध है और मजदूरों के मालगाड़ी से कटकर मर जाने के मामले को आत्महत्या भी कहा गया है और जांच होनी चाहिए। यही नहीं, घर से निकलने वालों की पहले इतनी पिटाई हुई है और उसके इतने वीडियो सार्वजनिक हैं कि याद करके डर लगता है। अब अगर पुलिस नहीं रोक रही है या रोक पा रही है उसके कारणों पर भी चर्चा होनी चाहिए। केरल में शराब की बिक्री पर लॉक डाउन के दौरान हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे स्टे कर दिया है यानी बिक्री होगी।

बिहार में शराब की बिक्री पर स्थायी तौर पर प्रतिबंध है। अगर केरल सरकार लॉक डाउन में भी शराब की बिक्री प्रतिबंधित नहीं कर सकती है तो बिहार सरकार स्थायी रूप से कैसे प्रतिबंधित कर सकती है। यह भी विचार करने लायक मुद्दा है।

(टाइम्स ऑफ इंडिया अब मुफ्त नहीं रहा। इसलिए फिलहाल उसकी चर्चा बंद। खरीद कर पढ़ने का बजट मैंने इंडियन एक्सप्रेस पर खर्च कर दिया।)

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