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गांधी विचार धारा पढ़ना हो तो मोतिहारी आइए, यहाँ बना रही है सरकार यूनिवर्सिटी
मोतिहारी.(शिवा नन्द गिरि)
पूर्वी चंपारण के बड़हरवा लखनसेल स्थित महात्मा गांधी) के हाथों स्थापित पहले बुनियादी विद्यालय में डीम्ड यूनिवर्सिटी खोली वाली है। इसमें गांधी जी के विचारों पर अध्ययन-अध्यापन होगा जिससे दुनिया भर में इसे और ख्याति मिलेगी। यूजीसी ने विद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है।
इस धरोहर का जायजा लेने गांधीवादियों और शिक्षाविदों का एक दल जल्द ही बड़हरवा लखनसेल आने वाला है।गांधी जी ने 13नवंबर 1917को पूर्वी चंपारण के ढाका प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर बड़हरवा लखनसेल में देश का पहला बुनियादी विद्यालय खोला था।यहां गांधी जी और कस्तूरबा गांधी मिलकर बच्चों को पढ़ाया करते थे।
नील की खेती से जुड़े किसानों की की समस्याओं के लिए गांधी जी ने चंपारण यात्रा(Champaran yatra) की थी।वह 15अप्रैल1917को चंपारण की राजधानी कहलाते रहे मोतिहारी आए थे।गांधी जी ने नीलहों की समस्याओं को लेकर अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रक्ष छेड़ा था।लगे हाथों समाज के विकास के लिए 13नवंबर 1917को बड़हरवा लखनसेल में देश के पहले बुनियादी विद्यालय की स्थापना की थी।
गांधी जी की चंपारण यात्रा का शताब्दी मनाया जा रहा है।जीर्ण शीर्ण पड़े बुनियादी विद्यालय को विशेष स्वरूप देने की मांग वर्षों से होती आ रही है।विद्यालय की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर राज्य सरकार ने इसकी मरम्मत करवाई और इसे मिडिल स्कूल से उत्क्रमित कर हाई स्कूल बना दिया।लेकिन लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप इसे भरपूर ख्याति नहीं मिल पाई।आयोजन तो कई हुऐ पर विद्यालय में रखी निशानियां ऐसे कहु उपेक्षित पड़ी रह गईं।यहां गांधी जी का वह चरखा ऐसे ही धूल फांक रहा है जिह पर वह सूत काटा करते थे।
अब मिलने जा रही विशेष पहचान
गांधी जी के पहले बुनियादी विद्यालय को अब विशेष पहचान मिलने जा रही है।इस दिशा में घूमंतू जाति आयोग के सदस्य शचीन्द्र नारायण ने बड़ी भूमिका निभाई।ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट,पटना के पूर्व निदेशक शचींद्र नारायण ने यूजीसी के अधिकारियों से मिलकर यहां डीम्ड यूनिवर्सिटी खोलने की अपील की और विस्तार से यहां का ब्यौरा दिया।यूजीसी ने अब स्कूल के संसाधनों,ज़मीन, कमरे आदि की विस्तृत जानकारी मांगी है।
एक समारोह की तैयारियां का जायजा लेने यहां आए शचींद्र नारायण ने कहा कि यह बड़ा काम अब जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा।